मानव शरीर अपनी आवश्यकता अनुसार ही नई कोशिकाओं का निर्माण करता है। कुछ कोशिकाओं का एक ऐसा समूह होता है जो कि अनियंत्रित रूप से बढ़ता है और विकसित होता है। उनकी बढ़त नियंत्रित नहीं होती है। इन कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाएं कहते हैं। 

ये कोशिकाएं दो प्रकार की होती है जिसमें पहला बिनाइन ट्यूमर (Benign Tumour) जिसे कैंसर रहित कहा जाता है और दूसरा मेलिगनेन्ट ट्यूमर (Malignant Tumour) जिसे कैंसर वाला कहा जाता है। बिनाइन ट्यूमर कोशिकाओं की बढ़त बहुत धीमी होती है ये फैलती नहीं है। मेलिगनेंट ट्यूमर कोशिकाएं तेजी के साथ बढ़ती हैं और अपने पास के सामान्य ऊतकों (Tissues) को भी नष्ट करती है। ये संपूर्ण शरीर में फैल जाती हैं। 
लीवर कैंसर (Liver Cancer)
लीवर कैंसर (Liver Cancer)
कैंसर शब्द का उपयोग उस समय किया जाता है जब मेलिगनेन्ट ट्यूमर होता है जो अपनी असीमित बढ़त से मानवीय शरीर को प्रभावित करने लगता है और कैंसर कोशिकाओं को मानवीय ऊतकों (Tissues) में भेजने लगता है। लिवर या यकृत कैंसर लीवर की कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि होती है, लिवर के ऊतक में ट्यूमर की संरचनाओं को हिपैटोसेलुलर कार्सिनोमा (Hepatocellular carcinoma) कहा जाता है।

लीवर कैंसर के प्रकार (Types of Liver Cancer)

लिवर कैंसर के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं: इनका नाम लिवर के उस हिस्से पर रखा जाता है जिसमें कैंसर सबसे पहले विकसित होता है। सामान्यतः होने वाला लिवर कैंसर, लिवर की प्रमुख कोशिकाओं में शुरू होता है। यह हीपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (Hepatocellular carcinoma) कहलाता है। कोलेंजियोकार्सिनोमा (Cholangiocarcinoma) पित्त नली (Bile Duct) को ढकने वाली कोशिकाओं में शुरू होता है।

लीवर कैंसर के लक्षण

  • अचानक से वजन में कमी आना।
  • असामान्य थकान महसूस होन।
  • पीठ के ऊपरी हिस्से में, दायें कंधे के जोड़ (शोल्डर ब्लेड) के आसपास पीड़ा होना।
  • पीलिया होना।
  • पेट (Abdomen) के ऊपरी दाएँ हिस्से में असहजता का अहसास (Uncomfortable Feeling) होना।
  • पेट के दाएँ हिस्से में, पंजर (Rib Cage) के नीचे एक कठोर गांठ का महसूस होना।
  • पेट में सूजन होना।
  • भूख की कमी और/या मितली आना।

लीवर कैंसर के कारण (Causes of liver Cancer)

  • ज्यादा व लगातार शराब पीना,
  • विशेष रूप से हैपेटाइटिस बी और डी के साथ वायरल हैपेटाइटिस,
  • परजीवी (Parasite) द्वारा संक्रमण जैसे लीवर फ्लूक,
  • चिरकालिक हैपेटाइटिस बी इंफ़ेक्शन,
  • चिरकालिक हैपेटाइटिस सी इंफ़ेक्शन,
  • हैपेटाइटिस बी और लीवर कैंसर दोनों का पारिवारिक इतिहास होना,
  • लीवर का सिरोसिस (Cirrhosis),
  • स्थूलता (Obesity),

सामान्य उपचार

कैंसर पाए जाने के बाद लोग अकसर परेशान हो जाते हैं। कैंसर के निदान और उपचार के दौरान एवं उसके बाद व्यावहारिक और भावनात्मक सहायता बहुत महत्वपूर्ण होती है।

लीवर कैंसर के घरेलू इलाज (Home Remedies For Liver Cancer)

भारत में जिन बीमारियों से सर्वाधिक मौतें हो रही हैं उसमें लीवर कैंसर का पांचवा स्थान है। आंकड़े बताते हैं कि दस में से दो लोग लीवर की बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। लीवर कैंसर को हेपाटोसेलुलर कारसिनोमा (hepatocellular carcinoma) कहा जाता है।

चालीस के बाद अगर जीवन शैली में सेहत की चिंता करते हुए बदलाव नहीं किया जाता है तो लीवर की बीमारी 60 के बाद गंभीर हो जाती है। क्रॉनिक हेपाटाइटिस सी और जॉंडिस में लीवर कैंसर होने का खतरा ज्यादा रहता है। प्रारंभिक अवस्था में ऐसे कोई खास लक्षण नहीं हैं जिससे लीवर कैंसर की पहचान की जा सके। 

हालांकि, पेट की उपरी और बांए भाग में अगर दर्द हो, पेट असमान्य ढंग से फूला हो, लीवर बड़ा हो गया हो, भूख नहीं लग रही हो, वजन कम हो रहा हो, उल्टी आ रही हो, आंख और त्वचा का रंग काफी पीला हो गया हो तो ये लीवर कैंसर के संकेत हो सकते हैं।

लीवर कैंसर जांच में पता चल जाने के बाद अगर वो प्रारंभिक अवस्था में हैं तो घरेलू उपचार से उसे नियंत्रित किया जा सकता है, मगर अगर मर्ज पुरानी है तो घरेलू उपचार से कुछ खास फर्क नहीं पड़ता है। परहेज और पथ्य से ही लीवर को सेहतमंद बनाया जाता है। डाइट या खान-पान ही इसके घरेलू उपचार हैं। आइए जानते हैं लीवर को सेहतमंद बनाने के घरेलू उपचार। 

लीवर कैंसर के घरेलू उपचार (Home Remedies for Liver Cancer)

डाइट या खान-पान की आदत (Diet and Food Habbit)

लीवर को स्वच्छ और शुद्ध पानी की जरुरत होती है। पानी लीवर को साफ और सेहतमंद रखता है। पानी खूब पीएं। रेड मीट और अल्कोहल लीवर का दुश्मन है इससे तौबा करें। ज्यादा कैलोरी वाले भोजन करें , क्योंकि लीवर कैंसर में भूख कम लगती है, इसलिए जब खाने का मन करे तो जिस भोजन में कैलोरी की मात्रा ज्यादा हो वही खाएं। लीवर कैंसर के मरीजों की डाइट में फल, सब्जी के साथ लहसुन, मौसमी, ग्रीन टी, एवाकाडो, हल्दी, अखरोट, पपीता समेत ऐसे सभी फल और सब्जी शामिल हो जो लीवर को सेहतमंद बनाती है।

लहसुन (Garlic)

लहसुन में काफी मात्रा में सल्फर कंपाउड पाया जाता है जो लीवर एंजाइम को सक्रिय करता है और शरीर से विषैले रस और पदार्थ को निकालने का काम करता है। यह लीवर को बचाने का काम करता है। रोज सुबह खाली पेट पानी के साथ अगर लहसुन खाया जाए तो यह लीवर के लिए काफी सेहतमंद होता है।

मौसमी (Grapefruit)

मौसमी में काफी मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। यह लीवर को साफ करता है। इसमें लीवर को साफ करने वाले एंजाइम होते हैं जो लीवर को विषैले पदार्थ से सुरक्षा करते हैं। इसमें एक खास केमिसल कंपाउड Flavonoid पाया जाता है जो लीवर में फैट जमा नहीं होने देता है और इसे जलाता रहता है।

ग्रीन टी (Green Tea)

ग्रीन टी में एक खास एंटी ऑक्सीडेंट Catechins पाया जाता है जो लीवर में फैट जमा नहीं होने देता है और इससे लीवर सही ढंग से काम करता रहता है।

एवाकाडो (Avocado)

एवाकाडो में केमिकल कंपाउंड Glutathione काफी मात्रा में पाया जाता है जो लीवर को सेहतमंद बनाती है और विषाक्त चीजों से सुरक्षा करती है। एक मेडिकल रिसर्च में बताया गया है कि लगातार 30 दिनों तक एक एवाकाडो खाने से फैटी और बीमार लीवर ठीक हो जाती है।

हल्दी (Tumeric)

लीवर के सेहत के लिए हल्दी का सेवन बहुत जरुरी है। यह न सिर्फ लीवर की विषाक्त चीजों से सुरक्षा करती है बल्कि लीवर की नष्ट हुई कोशिकाओं का निर्माण भी करती है।

काली तुलसी (Black Tulsi)

काली तुलसी के सेवन से लीवर कैंसर के वृद्धि रुक जाती है। आयुर्वेद में लीवर कैंसर की चिकित्सा में काली तुलसी की विशेष चर्चा की गई है। काली तुलसी के 30 पत्तों को दही में मथकर बनाए गए मठ्ठे के साथ पी जाएं। सुबह-शाम इसे आजमाने से बेहतर परिणाम आते हैं।

और भी हैं उपाय (Some more remedies)

  • दो संतरे का रस खाली पेट लेने से लीवर सुरक्षित रहता है। एक बैंगन कच्चा खाने से लीवर की बीमारियां ठीक होती है।
  • डाभ (नारियल) का पानी पीएं।
  • जौ का पानी पीएं।
  • छाछ का नियमित सेवन करें।
  • अंकुरित चना सुबह को नाश्ते में खाएं
  • अंकुरित दाना मेथी का रस पीएं
  • गाजर-टमाटर का सेवन नियमित करें।