करवा चौथ 2017: जानिए क्या है भारत में करवाचौथ मनाने का महत्तव, कई हैं पौराणिक कथाएं festival karwa chauth 2017 puja vidhi history importance and significance of karva chauth festival in india
Karwa Chauth 2017 Puja Vidhi: करवाचौथ की शुरुआत किसी एक कथा के कारण नहीं हुई थी इसलिए इस त्योहार की बहुत अधिक महत्वता है। इस दिन के लिए कई सारी कथाओं का प्रचलन है।
करवा चौथ 2017: जानिए क्या है भारत में करवाचौथ मनाने का महत्तव, कई हैं पौराणिक कथाएंKarwa Chauth Vidhi: क्या है करवाचौथ का महत्व।
Karwa Chauth 2017: करवाचौथ हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक माह के चौथे दिन होता है। पंरपराओं के अनुसार इस दिन शादीशुदा महिलाएं या जिनकी शादी होने वाली हैं वो अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं। ये व्रत सुबह सूरज उगने से पहले से लेकर और रात्रि में चंद्रमा निकलने तक रहता है। ये एकदिवसीय त्योहार अधिकतर उत्तरी भारत के राज्यों में मनाया जाता है। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, राज्यस्थान और उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सिर्फ पति की लंबी आयु की ही नहीं उसके काम-धंधे, धन आदि इच्छाओं की पूर्ति की प्रार्थना करती हैं। करवाचौथ की शुरुआत किसी एक कथा के कारण नहीं हुई थी इसलिए इस त्योहार की बहुत अधिक महत्वता है। इस दिन के लिए कई सारी कथाओं का प्रचलन है।
करवाचौथ शादीशुदा महिलाओं का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। इस त्योहार की महत्वता एक समय में बहुत हुआ करती थी, इस दिन सभी शादीशुदा महिलाएं इकठ्ठा होकर पूजा करती थी और पंरपराओं के अनुसार मां गौरी का पूजन करती थीं। मां गौरी भगवान शिव की पत्नी हैं इस दिन उनकी कथा सुनना शुभ माना जाता है। महाभारत के वर्ण पर्व के अनुसार करवाचौथ इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस दिन देवी सावित्रि ने अपने पति के प्राण वापस लाने के लिए यमदूत से प्रार्थना की थी और उसके लिए व्रत किया था। एक अन्य कहानी के अनुसार महिलाएं अपने पति की रक्षा के लिए व्रत करती थी, जब उनके पति कई दिनों के लिए युद्ध पर जाते थे। इस दिन वो भूखी रहती थी और अपने सबसे सुंदर वस्त्र पहनती थीं।
एक समय की बात है कि एक गांव में करवा नाम की पतिव्रता स्त्री रहती थी। एक दिन करवा के पति नदी में स्नान करने गए। स्नान करते समय एक मगरमच्छ ने करवा के पति के पांव पकड़ लिए और नदी के अंदर खींचने लगा। प्राण पर आये संकट को देखकर करवा के पति ने करवा को पुकारना शुरू किया। करवा दौड़कर नदी के तट पर पहुंची जहां मगरमच्छ उसके पति के प्राण लेने पर तुला था। करवा ने झट से एक कच्चे धागे से मगर को बांध दिया व भागकर यमराज के पास पहुंची। यमराज से कहा कि- मगरमच्छ ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया है इसलिए उसे मेरे पति के पैर पकड़ने के अपराध में आप अपने बल से नरक में भेज दो। यमराज ने कहा कि- मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि मगरमच्छ की आयु अभी शेष है। इस पर करवा बोली- अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो मैं आप को श्राप देकर नष्ट कर दूंगी। करवा के ऐसे वचन सुनकर यमराज डर गए और करवा के साथ आकर मगरमच्छ को यमपुरी भेज दिया, जिससे करवा के पति को दीर्घायु का आशीर्वाद मिला। कथा पूरी होने के बाद महिलाएं प्रार्थना करती हैं कि हे करवा माता! जैसे तुमने अपने पति की रक्षा की, वैसे सबके पतियों की रक्षा करना।