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अपने बॉर्डर की हिफाजत रोबोट से करता है इजरायल, यहां घुसपैठ नामुमकिन
इजरायल अपनी सीमा की हिफाजत में नई टेक्नोलॉजी यूज करता है । मिस्र से लगी सीमा पर उसने रोबोट लगा रखे हैं । जिसमें कैमरा और सेंसर्स लगे हैं । इसे कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है । हरकत होते ही ये पिक्चर कंट्रोल रूम को भेज देते हैं । इस तरह की निगरानी में सेना के जवानों को सहूलियत होती है । भारत भी इस तकनीक का इस्तेमाल LOC पर कर सकता है ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (मंगलवार, 4 जुलाई) अपनी इजरायल यात्रा के लिए रवाना हो चुके हैं। विदेश यात्रा से दोनों मुल्कों के बीच राजनयिक संबंध मजबूत होने की उम्मीद है। इजरायल अपने कारगर डिफेंस सिस्टम के लिए दुनियाभर में मशहूर है। मिसाइलों से लेकर छोटी बंदूकों तक, हर किस्म के उम्दा हथियार बनाने के लिए इजरायल को दुनियाभर में जाना जाता है। वहीं पीएम मोदी की इजरायल यात्रा के चलते, वहां के डिफेंस सिस्टम की बेहतरीन इजात में से एक “बॉर्डर सिक्योरिटी रोबोट गार्ड” भारत में भी सुर्खियों में है। इजरायल अपनी सीमा पर जवानों के बजाए रोबोट गार्ड्स की तैनाती करता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि इसे मात देना नामुमकिन हैं। आइए जानते हैं इसकी खासियतों के बारे में।

क्या है इजरायल का रोबोट गार्ड सिस्टम

इजरायल ने अपनी सीमा पर जवानों के बजाए रोबोट गार्ड्स को तैनात कर रखा है। सीमा सुरक्षा के लिए यह रोबोट गार्ड काफी कारगर माने जाते हैं। रोबोट बिना थके लंबे समय तक का सीमा की निगरानी कर सकते हैं। खबरों के मुताबिक, इजरायल के इन रोबोट गार्ड्स में कई खास फीचर्स हैं। यह इफ्रारेड सेंसरों और कैमरों से लैस होते हैं जो किसी भी तरह की हरकत को भांप लेते हैं। इनकी मदद से जवान आसानी से सीमा के किसी भी हिस्से पर हो रही घुसपैठ को नाकाम कर सकते हैं।

रोबोट गार्ड के जरिए जवान कंट्रोल रूम से बैठ कर ही सीमा की सुरक्षा का काम कर सकते हैं। रोबोट एक पाइप के जरिए चलते हुए सीमा की निगरानी करता है। वहीं अगर कंट्रोल रूम में जवनों से कोई चूक होती है तो रोबोट गार्ड अपने सेंसरों के जरिए अपने आस-पास हुई किसी भी हरकत को पकड़ लेता है। रोबोट गार्ड में अपने 15 मीटर के दायरे में हुई कोई भी हरकत पकड़ने की क्षमता है जिसके जरिए वह कंट्रोल रूम तक चेतावनी पहुंचाता है और जिसके बाद जवान अपनी कार्रवाई को अंजाम दे सकते हैं।

अमेरिकी खुफिया एजेंसी भी है मोसाद की दीवानी, जानें इजरायल की 10 खास बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल से दोस्ती बढ़ाने के लिए वहां रवाना हो गए हैं. ऐसा करने वाले वे पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं. यहूदी धर्म को मानने वाला एकमात्र देश इजरायल कई मायनों में दुनिया से अलग है. चारों ओर से दुश्मनों से घिरे रहने के बावजूद इस देश की ताकत को दुनिया देख चुकी है. इजरायल से जुड़ी कुछ खास बातें यहां पढ़ें...
1. 1947 में आजादी के समय यूएन ने इजरायल को 5,500 sq. miles जमीन दी थी. लेकिन अब यह बढ़कर 8,000 sq. miles हो गई है. पड़ोसियों पर हमले कर इजरायल ने जीत के जमीन पर कब्जा कर लिया था.
2. इजरायल हाई टेक स्टार्ट अप का केंद्र बिंदु है. इसे अमेरिका के सिलिकॉन वैली के तर्ज पर अरबी में सिलिकॉन वादी भी कहा जाता है.
3. दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में शुमार बिल गेट्स और वॉरेन बफेट जैसे लोगों ने इजरायल की अर्थव्यवस्था को सराहा और उसमें निवेश भी किया है. वॉरेन बफेट कहते हैं- इजरायल, यूएस के बाहर निवेश के लिए सबसे अच्छा हब है.
4. दुनिया भर के हीरा तराशने और पॉलिश करने की सबसे बड़ी इंडस्ट्रीज में से एक इजरायल में है.
5. दुनिया के सबसे बड़े हथियार उत्पादकों में से एक इजरायल. यूएस और यूरोपीय देश हैं सबसे बड़ा खरीदार.
6. दुनियाभर के 60% ड्रोन इजरायल में बनते हैं. यूएस हथियार बनाने में इजरायल की सहायता करता है. लगभग 3 अरब डॉलर की राशि हर वर्ष यूएस देता है.
7. इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद, दुनिया का सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसी है. अमेरिका भी इसके काम करने के तरीके का दीवाना है.
8. इजरायल एक बहुत अच्छा पर्यटक स्थल भी है. सलाना लगभग 30 लाख लोग यहां आते हैं. जो कि इजरायल के आय के मुख्य स्त्रोत हैं.
9. इजरायल का महज 20% हिस्सा ही खेती के लायक है. फिर भी वो अपने जरूरत का 95 प्रतिशत खाना उपजा लेता है.
10. वर्ल्ड बैंक के अनुसार इजरायल का GDP लगभग 320 डॉलर का है, यह दुनिया में 33वां स्थान पर है.

अपने दुश्मनों के साथ क्या करता है इजरायल, पढ़िए 1972 का ये मामला

1972 में ओलंपिक खेलों का आयोजन जर्मनी के म्यूनिख शहर में हुआ था. दुनियाभर के तमाम देशों के खिलाड़ी इसमें हिस्सा लेने आए थे. खेल शुरू हुए एक हफ्ते से ज्यादा वक्त बीत चुका था. कोई नहीं जानता था कि आने वाले दिनों में ओलंपिक गेम्स विलेज में कुछ ऐसा होने वाला है, जो खेलों के इतिहास का सबसे काला अध्याय बन जाएगा.
कनाडा के खिलाड़ियों ने अनजाने में की आतंकियों की मदद
तारीख थी 5 सितंबर 1972. खिलाड़ियों की तरह ट्रैक सूट पहने 8 अजनबी लोहे की दीवार फांदकर ओलंपिक विलेज में घुसने की कोशिश कर रहे थे. तभी वहां कनाडा के कुछ खिलाड़ी पहुंच गए. दीवार फांदने वाले अजनबी सहम गए, कनाडा के खिलाड़ियों ने उन्हें किसी दूसरे देश का खिलाड़ी समझा और फिर दीवार फांदने में उनकी मदद की. लोहे की दीवार पार करने के बाद कनाडा के खिलाड़ी अपने रास्ते पर आगे बढ़ गए. दूसरी तरफ ट्रैक सूट पहने अजनबी उस इमारत के बाहर पहुंच गए जहां इजरायली खिलाड़ियों को ठहराया गया था. इस इमारत में दाखिल होते ही इन अजनबियों का असली चेहरा सामने आ गया. ये कोई खिलाड़ी नहीं बल्कि हथियारों से लैस आतंकी थे.
ये पीएलओ यानी फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन से जुड़े थे. आठों आतंकी हाथों में हथियार लेकर अपने मिशन को अंजाम देने निकल पड़े. सबसे पहले उन्होंने जिस अपार्टमेंट में दाखिल होने की कोशिश की, उसमें रह रहे पहलवान योसेफ गटफ्रंड अभी जाग रहे थे, शोर सुनकर वो दरवाजे तक पहुंचे लेकिन तब तक देर हो चुकी थी.
खूब लड़े खिलाड़ी
गटफ्रंड ने शोर मचाकर अपने बाकी साथियों को खबरदार कर दिया. पूरे हॉस्टल में हड़ंकप मच गया, कुछ खिलाड़ी भागने की कोशिश करने लगे, लेकिन रेसलिंग कोच मोसे वेनबर्ग दौड़कर किचन में घुसे और मुकाबला करने के लिए चाकू उठा लिया. अगले ही पल एक आतंकी की बंदूक गरजी और गोली मोसे के गालों को छेदती हुई निकल गई. इसके बाद आतंकियों ने हॉस्टल के एक-एक कमरे की तलाशी ली और खिलाड़ियों को बंधक बना लिया. गोलीबारी के बीच कुछ खुशकिस्मत खिलाड़ी भागने में कामयाब रहे. लेकिन कुछ ऐसे बदकिस्मत भी थे, जिन्होंने पूरी हिम्मत जुटाकर आतंकियों का मुकाबला किया. वो अपने साथियों को बचाने के लिए दुश्मनों से भिड़ गए, लेकिन आतंकियों ने उन्हें गोली मारने में देर नहीं लगाई.
क्या थी आतंकियों की मांग
अगले दिन ये खबर सनसनी बनकर पूरी दुनिया में फैल गई कि फलस्तीनी आतंकवादियों ने जर्मनी के म्यूनिख शहर में 11 इजरायली खिलाड़ियों को बंधक बना लिया है. अब तक बाहर वालों को ये पता नहीं था कि दो खिलाड़ी पहले ही मारे जा चुके हैं. आतंकियों ने मांग रखी कि इजरायल की जेलों में बंद 234 फलस्तीनियों को रिहा किया जाए, लेकिन इजरायल ने दो टूक शब्दों में कह दिया कि आतंकियों की कोई मांग नहीं मानी जाएगी. इसके बाद आतंकियों ने दो खिलाड़ियों के शवों को हॉस्टल के दरवाजे से बाहर फेंक दिया, वो ये संदेश देना चाहते थे कि यही हाल बाकी खिलाड़ियों का भी होगा लेकिन इजरायल का इरादा नहीं बदला.
इजरायल की प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर के सख्त तेवर देखकर दुनिया दंग थी. लोगों को लग रहा था कि इजरायल ने अपने खिलाड़ियों को आतंकियों के भरोसे छोड़ दिया है. लेकिन हकीकत ये है कि इजरायल जर्मनी को इस बात के लिए राजी करने में जुटा था कि वो म्यूनिख में अपने स्पेशल फोर्सेस भेज सके, लेकिन जर्मनी इसके लिए तैयार नहीं हुआ.
ओलंपिक खेलों के दौरान खिलाड़ियों को बंधक बनाना और मोलभाव करना. पूरी दुनिया टकटकी लगाकर इजरायल की ओर देख रही थी. लोग सांसें थामे इंतजार कर रहे थे कि आखिर इजरायली खिलाड़ियों का क्या होगा. इसी बीच आतंकियों ने एक नई मांग रखी और जर्मन सरकार ने वो मांग मान भी ली. आतंकियों ने मांग रखी कि उन्हें यहां से निकलने दिया जाए, वो बंधक इजरायली खिलाड़ियों को अपने साथ ले जाना चाहते थे. जर्मन सरकार की रणनीति थी कि इसी बहाने आतंकी और खिलाड़ी बाहर निकलेंगे और एयरपोर्ट पर आतंकियों को निशाना बनाना आसान होगा. प्लान के मुताबिक आतंकियों को बस मुहैया कराई गई, जो उन्हें एयरपोर्ट तक ले गई. एयरपोर्ट पर अंधेरे में जगह-जगह शार्प शूटर तैनात कर दिए गए थे.
इजरायल के खिलाड़ियों ने गंवाई जान
पूरी दुनिया अपने टीवी स्क्रीन पर इस मंजर को लाइव देख रही थी. खिलाड़ियों को बस से उतारकर हेलीकॉप्टर में बिठाया गया. इसके कुछ ही सेकेंड बाद शार्प शूटरों ने आतंकियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. खुद को चारों तरफ से घिरता देख आतंकियों ने निहत्थे खिलाड़ियों पर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. एक हेलीकॉप्टर को बम से उड़ा दिया गया. फिर दूसरे हेलीकॉप्टर में बैठे खिलाड़ियों को भी गोलियों से भून दिया गया. कुछ ही मिनटों में एयरबेस पर मौजूद हर आतंकी मारा गया. साथ ही इजरायल के 9 खिलाड़ी भी आतंकियों की गोलियों के शिकार बन गए. शुरू में टीवी के जरिए ये खबर फैलाई गई कि सिर्फ आतंकी मारे गए हैं, सभी 9 खिलाड़ी सुरक्षित हैं लेकिन अगली सुबह ये साफ हो गया कि इजरायल का कोई भी खिलाड़ी जिंदा नहीं बचा है.
फलस्तीनी आतंकवादियों ने इजरायल के 11 खिलाड़ियों को म्यूनिख ओलंपिक में बंधक बनाया और उन्हें मार दिया. इस खौफनाक मिशन को अंजाम देने वाले 8 आतंकी भी मारे गए, लेकिन इजरायल इतने भर से शांत बैठने वाला नहीं था. उसने अपनी खुफिया एजेंसी मोसाद की मदद से उन सभी लोगों के कत्ल की योजना बनाई, जिनका वास्ता ऑपरेशन ब्लैक सेंप्टेंबर से था. इस मिशन को नाम दिया गया 'रैथ ऑफ गॉड' यानी ईश्वर का कहर.
नरसंहार के बाद ही दिया करारा जवाब
म्यूनिख नरसंहार के दो दिन के बाद इजरायली सेना ने सीरिया और लेबनान में मौजूद फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन के 10 ठिकानों पर बमबारी की और करीब 200 आतंकियों और आम नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया. लेकिन इजरायली प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर इतने भर से रुकने वाली नहीं थीं. उन्होंने इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के साथ गुप्त मीटिंग की और उनसे एक ऐसा मिशन चलाने को कहा जिसके तहत दुनिया के अलग-अलग देशों में फैले उन सभी लोगों के कत्ल का निर्देश दिया, जिनका वास्ता ब्लैक सेप्टेंबर से था.
सबसे पहले मोसाद ने ऐसे लोगों की लिस्ट बनाई, जिनका संबंध म्यूनिख नरसंहार से था. इसके बाद मोसाद के ऐसे एजेंट्स तलाशे गए जो गुमनाम रह कर ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड को अंजाम देने के लिए तैयार थे. इन एजेंट्स से कहा गया कि उन्हें सालों तक अपने परिवार से दूर रहना होगा. वो अपने मिशन के बारे में परिवार को भी नहीं बता सकते और सबसे बड़ी बात ये कि पकड़े जाने पर इजरायल उन्हें पहचानने से इनकार कर देगा. यानी बिना किसी पहचान, बिना किसी मदद के उन्हें इस मिशन को अंजाम देना था.
मोसाद की कार्रवाई शुरू
मिशन शुरू होने के कुछ ही महीनों के अंदर मोसाद एजेंट्स ने वेल ज्वेटर और महमूद हमशारी का कत्ल कर सनसनी मचा दी. अब बारी थी अगले निशाने की. यहां भी मोसाद की टीम ने ब्लैक सेप्टेंबर से संबंध रखने के शक में एक शख्स की दिन-रात निगरानी शुरू की. हुसैन अल बशीर नाम का ये शख्स होटल में रहता था और होटल में वो सिर्फ रात को आता था और दिन शुरू होते ही निकल जाता था. मोसाद की टीम ने उसे खत्म करने के लिए उसके बिस्तर में बम लगाने का प्लान बनाया.
बम लगाना कोई मुश्किल काम नहीं था, ये काम तो आसानी से हो गया. मुश्किल ये था कि कैसे ये पता किया जाए कि हुसैन अल बशीर बिस्तर पर है तभी धमाका किया जा सकता है. इसके लिए एक मोसाद एजेंट ने बशीर के ठीक बगल वाला कमरा किराए पर ले लिया. वहां की बालकनी से बशीर के कमरे में देखा जा सकता था. रात को जैसे ही बशीर बिस्तर पर सोने के लिए गया. एक धमाके के साथ उसका पूरा कमरा उड़ गया. इजरायल का मानना था कि वो साइप्रस में ब्लैक सेप्टेंबर का प्रमुख था, हालांकि उसकी हत्या के पीछे रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी से उसकी नजदीकियां अहम मानी गईं.
फलस्तीनी आतंकियों को हथियार मुहैया कराने के शक में बेरूत के प्रोफेसर बासिल अल कुबैसी को गोली मार दी गई. मोसाद के दो एजेंट्स ने उसे 12 गोलियां मारीं. मोसाद की लिस्ट में शामिल तीन टार्गेट लेबनान में भारी सुरक्षा के बीच रह रहे थे और अभी तक के हत्याओं के तरीकों से उन तक पहुंचना नामुमकिन था. इसलिए उनके लिए विशेष ऑपरेशन शुरू किया गया, जिसका नाम था ऑपरेशन स्प्रिंग ऑफ यूथ. ये ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड का ही एक हिस्सा था.
9 अप्रैल 1973 को इजरायल के कुछ कमांडो लेबनान के समुद्री किनारे पर स्पीडबोट के जरिए पहुंचे. इन कमांडोज को मोसाद एजेंट्स ने कार से टार्गेट के करीब पहुंचाया. कमांडो आम लोगों की पोशाक में थे, और कुछ ने महिलाओं के कपड़े पहन रखे थे. पूरी तैयारी के साथ इजरायली कमांडोज की टीम ने इमारत पर हमला किया. इस ऑपरेशन के दौरान लेबनान के दो पुलिस अफसर, एक इटैलियन नागरिक भी मारे गए. वहीं इजरायल का एक कमांडो घायल हो गया. इस ऑपरेशन के फौरन बाद तीन हमले और किए गए. इनमें साइप्रस में जाइद मुचासी को एथेंस के एक होटल रूम में बम से उड़ा दिया गया. वहीं ब्लैक सेप्टेंबर के दो किशोर सदस्य अब्देल हमीन शिबी और अब्देल हादी नाका रोम में कार धमाके में घायल हो गए.
मोसाद के एजेंट्स दुनिया में घूम-घूम म्यूनिख कत्ल-ए-आम के गुनहगारों को मौत बांट रहे थे लेकिन क्या इजरायल के बदले की कहानी थम गई. इंतकाम की आग में धधक रहे इजरायल की सीक्रेट सर्विस एजेंसी मोसाद का खूनी खेल अभी थमा नहीं था क्योंकि उसकी हिट लिस्ट में और लोगों के नाम शुमार थे और जब तक इस हिटलिस्ट से सभी नाम मिटा नहीं दिए जाते तब तक उसके एजेंट्स का मिशन खत्म नहीं हो सकता था लिहाज़ा मोसाद के एजेंट्स एक बार फिर अपने मिशन को अंजाम तक पहुंचाने में जुट गए. अब बारी थी उन लोगों को उनके अंजाम तक पहुंचाने की जो सीधे तौर पर म्यूनिख कत्ल-ए-आम से जुड़े थे और एक बार फिर शुरू हुआ मोसाद का खूनी इंतकाम और अपने इस मिशन के तहत...
-28 जून 1973 को ब्लैक सेप्टेंबर से जुड़े मोहम्मद बउदिया को उसकी कार की सीट में बम लगाकर उड़ा दिया.
-15 दिसंबर 1979 को दो फलस्तीनी अली सलेम अहमद और इब्राहिम अब्दुल अजीज की साइप्रस में हत्या हो गई.
-17 जून 1982 को पीएलओ के दो वरिष्ठ सदस्यों को इटली में अलग-अलग हमलों में मार दिया गया.
-23 जुलाई 1982 को पेरिस में पीएलओ के दफ्तर में उप निदेशक फदल दानी को कार बम से उड़ा दिया गया.
-21 अगस्त 1983 को पीएलओ का सदस्य ममून मेराइश एथेंस में मार दिया गया.
-10 जून 1986 को ग्रीस की राजधानी एथेंस में पीएलओ के डीएफएलपी गुट का महासचिव खालिद अहमद नजल मारा गया.
-21 अक्टूबर 1986 को पीएलओ के सदस्य मुंजर अबु गजाला को काम बम से उड़ा दिया गया.
-14 फरवरी 1988 को साइप्रस के लीमासोल में कार में धमाका कर फलस्तीन के दो नागरिकों को मार दिया गया.
इन आंकड़ों को देखने के बाद ये तो साफ हो जाता है कि मोसाद के एजेंट्स दुनिया के अलग-अलग देशों में जाकर करीब 20 साल तक हत्याओं को अंजाम देते रहे. जब इजरायल का ये चेहरा दुनिया के सामने आया तो उसकी काफी आलोचना हुई.
अगला नंबर आया मास्टरमाइंड का
अगला नंबर था अली हसन सालामेह का, वो शख्स जो म्यूनिख कत्ल-ए-आम का मास्टरमाइंड था और जिसने इजरायली एथलीटों को बंधक बनाने का ब्लूप्रिंट तैयार किया था. मोसाद ने सलामेह को एक कोड नाम दिया था, रेड प्रिंस. मोसाद के जासूस अली की तलाश पूरी दुनिया में कर रहे थे लेकिन ये बात सलामेह भी जानता था और इसीलिए उसने अपने इर्द-गिर्द सुरक्षा का घेरा बढ़ा दिया था. नार्वे में साल 1973 और स्विट्जरलैंड में साल 1974 में मोसाद ने सलामेह को जान से मारने की कोशिश की लेकिन वो अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाई. इसके बाद साल 1974 में स्पेन में एक बार फिर सलामेह की हत्या की कोशिश की गई लेकिन वो फिर बच निकला.
साल 1979 यानि पांच साल बाद मोसाद ने एक बार फिर सलामेह को लेबनान की राजधानी बेरूत में ढूंढ़ निकाला. 22 जनवरी 1979 को एक कार बम धमाका कर सलामेह को भी मौत के घाट उतार दिया गया. म्यूनिख कत्ल-ए-आम का गुनहगार मारा जा चुका था लेकिन म्यूनिख क़त्ल-ए-आम के 7 साल बाद तक चले मोसाद के ऑपरेशन में उसके एजेंट्स ने 11 में से 9 फलस्तीनियों को मौत के घाट उतार दिया था. वैसे ये भी एक सच है कि करीब 20 साल तक चले इस सीक्रेट ऑपरेशन में मोसाद ने कुल 35 फलस्तीनियों को मारा था.

जो 38 दिन हाथ नहीं आई, वो हनीप्रीत 15 मिनट में कैसे पकड़ी गई, सच आया सामने How Honeypreet Insan Arrest
जो हनीप्रीत 38 दिन तक पुलिस को चकमा देती रही, भगाती रही। उसे अचानक पकड़ लिया गया, वो भी सिर्फ 15 मिनट में। आखिर कैसे हुआ ये सब, जानिए सच?

मंगलवार को हनीप्रीत की गिरफ्तारी के बाद खुलासों का सिलसिला शुरू हो गया है। हनीप्रीत ने तीन बार लोकेशन बदली। हनीप्रीत बीते तीन दिन से चंडीगढ़ की पेरीफेरी में पंचकूला, मोहाली, बलटाना और यहां तक कि चंडीगढ़ में मौजूद थी। बठिंडा में कई दिन रुकने के बाद उसने यहां का रुख किया था। बीते सोमवार वह कसौली जाने की तैयारी में थी, लेकिन बीच रास्ते में से ही गुप्त संदेश मिलने पर वापस लौटी और किसी गुरुद्वारे में रुकी।

हरियाणा पुलिस के एक डीजीपी व पंजाब के एडीजीपी हनीप्रीत की लोकेशन लगातार ट्रेस कर रहे थे और दोनों ने आपस में संपर्क बनाया हुआ था। गुरुद्वारे से निकलने के बाद हनीप्रीत ने मंगलवार को पहली लोकेशन शूटर अभिनव बिंद्रा के फॉर्म हाउस के पास बदली। यहां सीसीटीवी कैमरों में हनीप्रीत कैद हो गई। पुलिस को पहले से इनपुट था, इसलिए उसने सीसीटीवी कैमरे सर्विलांस पर रखे हुए थे।

इसके बाद दो बार और हनीप्रीत ने लोकेशन बदली व सीसीटीवी में कैद होती गई। इस पर पंजाब के एडीजीपी ने हरियाणा के एक एडीजीपी को इसकी जानकारी दी। वह पहले से इस पर नजर बनाए हुए थे। उन्होंने जानकारी मिलते ही एसीपी मुकेश मल्होत्रा को अलर्ट किया और हनीप्रीत जीरकपुर से दो किलोमीटर दूर पटियाला रोड पर गिरफ्त में ले ली गई। पूरी प्लानिंग के तहत यह सब किया गया।

हनीप्रीत को गिरफ्तार करते ही पुलिस ने उससे पूछताछ शुरू कर दी। सूत्रों के मुताबिक, देर रात साढ़े 3 बजे तक पुलिस हनीप्रीत से सवाल पूछती रही। हनीप्रीत से एसआईटी, पुलिस आयुक्त पंचकूला एएस चावला, आईजी ममता सिंह सहित अनेक वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने चंडीमंदिर थाने में हनीप्रीत से पूछताछ की। देर रात ही उसका मेडिकल कराया गया। वहीं रात भर हनीप्रीत रोती रही, न खाया न पिया।

आखिरकार सामने आ ही गई हनीप्रीत, 'पापा' राम रहीम को लेकर कही ये 10 बड़ी बातें

38 दिन तक लुकाछिपी का खेल खेलने के बाद पुलिस के हत्थे चढ़ी हनीप्रीत की आज पंचकूला कोर्ट में पेशी हुई, जहां से उसे 6 दिन के रिमांड पर भेजा गया है। जबकि पुलिस ने हनीप्रीत का 14 दिन का रिमांड मांगा था।
पुलिस ने दलील दी कि 25 अगस्त को हनीप्रीत के पास मोबाइल था। फरारी के दौरान भी वो मोबाइल साथ रहा। उस मोबाइल को बरामद करने के लिए रिमांड चाहिए। वहीं हनीप्रीत के वकील एस के गर्ग नरवाना ने दलील पर बहस करते हुए कहा कि हनीप्रीत पर राजद्रोह का केस भी नहीं बनता।

वकील ने रिमांड का भी विरोध किया और खुलकर बहस की। वकील ने कहा कि हनीप्रीत एक महिला है और उसका कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड भी नहीं है। फिर दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद जज ने हनीप्रीत को रिमांड पर भेज दिया। पेशी के दौरान हनीप्रीत के दिल्ली वाले वकील प्रदीप आर्य भी मौजूद रहे। हनीप्रीत की बहन भी मौजूद थीं।

देखिये भारत में इस तरह से की जाती है, एक कुंवारी लड़की के कुंवारेपन की पहचान..Know About Indian Girlsअगर बात पुराने दौर की करें तो महिलाओं की वर्जिनिटी (कौमार्य) को बेशकीमती माना जाता था | हम दुनिया भर के अब तक के इतिहास पर नजर डालें, तो पता चलेगा कि महिलाओं की वर्जिनिटी को मर्यादा और संस्कारों से जोड़कर देखा जाता रहा है | खास तौर पर महिलाओं की वर्जिनिटी पर ज्यादा जोर दिया जाता था | लेकिन अब यह मान्यता टूट रही है, महिलाओं या लड़कियों की वर्जिनिटी को लेकर अब लोगो की सोच बदल रही है |
डॉक्टर्स के मुताबिक वैसे तो अब वर्जिनिटी कोई बड़ा इश्यू नहीं है | मगर अब भी कई देशों में पुरानी सोच के मर्दों की शिकायत रहती है कि पहली रात में उनकी पत्नी को ब्लीड नहीं हुआ | लेकिन यह पूरी तरह से बेवकूफाना सोच है कि ब्लीड नहीं हुई, तो लड़की वर्जिन नहीं है | ऐसा सभी के साथ हो जरूरी नहीं है |
बहुत से ऐसे मामले देखने में आते है | जिनमें कौमार्य बरकरार होने के बावजूद हाइमन अक्षत नहीं होता है | कई मामलों में, पहली बार सहवास के दौरान भी रक्तस्राव बिल्कुल नहीं हुआ है | ऐसा इसलिए होता है क्योकि बदलती लाइफस्टाइल, हस्तमैथुन, साइकिल चलना, हाइमन ऑपरेशन, किसी चोट, रूई के फाहे घुसने से या किसी प्रकार के अन्य दबाव के कारण हाइमन के भीतर की श्लेष्मा झिल्ली फट जाती है | 

क्या वापस से वर्जिनिटी पाई जा सकती है..

जी हां अगर कोई लड़की वापस से वर्जिन होना चाहती है, तो एक छोटा सा ऑपरेशन करवाकर भी आर्टिफिशल हाइमन लगवाई सकती है | और आजकल कई सारे डॉक्टरों के पास ऐसे केस आ रहे है |

फ़टे कपड़ो में थाने पहुंची महिला, कहा- देवर 4 महीने से वीडियो बना, कर रहा है रेप..और आज..उत्तरप्रदेश के आगरा में इंद्रपुरी में एक अजीब मामला सामने आया है | जब एक महिला फ़टे कपड़ो में न्यू आगरा थाने में पहुंची | पहले तो महिला की ऐसी हालत देखकर पुलिस भी चकरा गई, लेकिन बाद में महिला ने पुलिस को अपनी आपबीती बताई | महिला में पुलिस को बताया की.. उसके देवर ने उसका अश्लील वीडियो बनाकर चार महीने तक मेरा रेप किया |

आज भी उसने मेरे साथ कुकर्म करने की कोशिश की तो उसे घायल करके आ गई हूं | पीड़ित महिला की शिकायत के बाद पुलिस ने पूरा मामला दर्ज करके आरोपी देवर को हिरासत में ले लिया है |
यह पूरा मामला न्यू आगरा थाने के इंद्रपुरी का है | यहां की रहने वाली महिला दीपा (बदला हुआ नाम) का पति और उसका चचेरा देवर ड्राइवरी का काम करते है | रिश्तेदारी और आसपास रहने के कारण दोनों का एक दूसरे के घर आना-जाना लगा रहता है |
पीड़ित महिला के मुताबिक, 4 महीने पहले एक दिन चचेरा देवर घर आया और नशे की हालत में उसने जबरन रेप किया | इस दौरान उसने अपने मोबाइल से उसकी अश्लील क्लिप बना ली | ये बात उसने अपने पति को बताने की कोशिश की, लेकिन देवर ने धमकी दी कि वो उसका वीडियो सोशल मीडिया और नेट पर डाल देगा और अगर ज्यादा गुस्सा आया तो बच्चे को किडनैप कर लेगा | 

देवर की धमकी के कारण दो बच्चों की मां डर गई | महिला ने बताया कि डर का फायदा उठाते हुए देवर रोज उसके साथ रिलेशन बनाने लगा और उससे उसके गहने व पति के लोन लिए हुए 25 हजार भी ले लिए | वो लगातार रुपए की डिमांड करता था | अब महिला के पास पैसे भी नहीं बचे |

महिला ने बताया की सुबह जब उसका का पति घर पर नहीं था, तो आरोपी देवर आया और उसने 20 हजार रुपए की मांग की | जब उसने पैसे देने से मना किया तो देवर जबरदस्ती उसके साथ रिलेशन बनाने लगा और महिला के कपड़े फाड़ दिए |
महिला के मुताबिक, उसने अपने बचाव में घर पर रखा डंडा उसके सिर पर मार दिया | चोट लगते ही देवर फरार हो गया | इसके बाद उसने हिम्मत कर पूरी घटना की जानकारी उसके पति को दी, और पति-पत्नी ने थाना न्यू आगरा पहुंचकर पूरी घटना बताई | इसके बाद पुलिस ने दबिश देकर आरोपी को हिरासत में ले लिया | पुलिस ने आरोपी को इलाज और मेडिकल के लिए भेजा है |
पुरे मामले पर पुलिस का क्या कहना है?

वही थाना इंचार्ज नरेंद्र सिंह का कहना है कि पीड़‍ित महिला की तहरीर पर रेप और जबरन वसूली के साथ साइबर एक्ट में केस दर्ज किया जाएगा |

वहीं, आरोपी देवर ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि..आज सुबह उसकी भाई से मारपीट हो गई थी | उसे जेल में डालने के लिए भाभी ने खुद कपड़े फाड़ लिए और उस पर झूठा रेप का आरोप लगा दिया |
source : dainiksamvad.com

Helicopter attack targets Venezuela's Supreme Court
A police helicopter launched a daring attack on the Venezuelan Supreme Court Tuesday, in a dramatic escalation of the months-long crisis engulfing the regime of President Nicolas Maduro.
The helicopter was apparently stolen and piloted by an officer in the country's investigative police force, Oscar Perez. As it strafed the court building and the Interior Ministry in Caracas, the attackers fired gunshots and lobbed grenades, officials said.
Maduro condemned the attack as an attempted coup, saying "terrorists" were behind the offensive and that an operation was underway to track the perpetrators down.
But much remained murky about the assault: if it was an attempt to unseat Maduro's government, it was a spectacular failure. No-one was injured and one of the grenades failed to explode, government officials said.
It was unclear how a rogue police helicopter could have circled high-profile buildings in the Venezuelan capital without being shot down -- eyewitnesses and local journalists say the assault went on for about two hours.
None of those involved in the attack appear to have been tracked down and the whereabouts of the helicopter remains unknown.
Earlier on Tuesday, Maduro appeared to foreshadow an uprising, saying that his supporters would be ready to take up arms if the "Bolivarian revolution" was threatened.
The attack came after months of protests against Maduro's regime and ahead of a vote on July 30 to elect members of a controversial new body that could make changes to the country's constitution.

Video message

Before the attack began, a man who identified himself as Perez appeared in a video online saying an operation was underway to seize democracy back from Venezuela's "criminal government." Flanked by a group of armed men in military fatigues and balaclavas, Perez claimed to be speaking on behalf of a coalition of military, police officers and civil officials.
In his video message, Perez said he was a pilot in the special response unit of Venezuela's Criminal Investigative Police (CICPC) and demanded that Maduro step down.
"On this day, we are carrying out a deployment by air and land with the sole purpose to return the democratic power to the people and to ensure the laws to establish constitutional order," he said.
Photographs posted online showed a helicopter with the initials of the investigative police unit on its side, flying above the capital, Caracas.
Through an open door an occupant is seen holding a banner saying "Article 350 libertad" -- referring to an article in the Venezuelan constitution that allows citizens to oppose the government should it subvert democratic principles.
It remained unclear on Wednesday how much support the assailants enjoyed among the police and security services they claimed to represent.
The background of Perez, the apparent ringleader, appeared colorful: Reuters reported that he was involved in a 2015 action film, Suspended Death, which he co-produced and starred in as an intelligence agent rescuing a kidnapped businessman.

Maduro response

Minister for Communications and Information Ernesto Villegas called the incident an attempted coup.
He said the attackers had launched four grenades, two against a group of National Guards who were protecting the court building. About 15 shots were fired around the Ministry of the Interior, a few blocks away from the presidential palace, he said, while a social event was ongoing inside the building, celebrating the National Day of Journalists. Around 80 people were in the building, he said.
Maduro said he had activated government security forces to investigate the attack.
Earlier Tuesday, Maduro warned of a potential attack. Speaking at a rally, he said, "If Venezuela was launched into chaos and violence and the Bolivarian Revolution was destroyed, we would go to combat.
"We would never give up. And what couldn't be done with votes, we would do it with weapons. We would liberate our fatherland with arms."
Villegas said the vote on the constituent assembly would go ahead as planned. "This will not impede the right to vote by the Venezuelan people on July 30th to elect the members of the National Assembly constituency," he said.
Critics have said it would also allow for the reshaping of the current legislative body, as well as redefining the President's executive powers.
The government intimidates and restricts the media in Venezuela, and has ordered NN en Español off the air. It tightly controls visas for foreign journalists, including CNN, arresting those who report from inside the country without proper permits.

'Possible active shooter' reported at Army's Redstone Arsenal
The Army's Redstone Arsenal in Alabama was locked down for more than two hours Tuesday amid reports of a possible active shooter.

"Possible active shooter on the Arsenal. Installation is locked down. Run hide fight," the arsenal tweeted at about 11:30 a.m. ET.

No shootings or injuries were immediately reported, and much of the sprawling base reopened early in the afternoon. The Sparkman Center, headquarters for Army Aviation and Missile Command and scene of the incident, remained closed off.

Redstone Arsenal covers almost eight square miles adjacent to the city of Huntsville and on most weekdays has more than 30,000 workers on site. All gates were closed when the incident was reported, and employees sheltered in place.

Spokesman Christopher Colster said there initially was confusion about whether it might be part of a massive drill schedule for Wednesday. But he said it was soon confirmed that the incident was unrelated to the drill.

“Our first line of defense is that employee in his cubicle that when he sees something, he says something," Colster said. “These are very large buildings and it takes time to go through them sometimes. And you’re not only looking for a gunman, but maybe some other threat that may be there.”

The Army Materiel Command and Missile Defense Agency are also housed on the base. The Marshall Space Flight Center, the government's civilian rocketry and spacecraft propulsion research center, also is located on grounds and was in lockdown as well.

"Marshall is no longer in lockdown status. Team members may resume normal duties but are asked to avoid the area of Building 5301," the space flight center tweeted at 1:38 p.m. ET.

Taylor Reed, a Huntsville native who works for the Missile Defense Agency, sheltered in a break room and watched local TV news with about 50 other people. His building is near the Sparkman Center.

“We had an 'all hands' with the three star general, or new director, when an alarm started going off. He was, like, is that a fire alarm? Are we ok?” Reed told USA TODAY via email.

Reed said an Army officer soon alerted the group that there was a possible active shooter in the Sparkman Center. Almost everyone knew someone who works there, he said.

Colster said he had no information on whether anyone was taken into custody.

"Our thoughts and prayers are with everybody on the arsenal," Colster said. "We are hoping to hear there are no casualties."

आनंदपाल दहशत का दूसरा नाम था। उसका खौफ राजस्थान के साथ पड़ोसी राज्य हरियाणा, दिल्ली, मध्यप्रदेश और यूपी में था। खतरनाक हथियारों से वह हमेशा लैस रहता था और उस पर हत्या, डकैती, लूट आदि के दर्जनों मामले दर्ज है। 
आनंदपाल सिंह मूलत: नागौर के लाडनूं तहसील के गांव सांवराद का रहने वाला है। उसने 2006 में अपराध की दुनिया में कदम रखा था। उसके बाद उसने कई बड़े अपराधों को अंजाम दिया।  [ads-post]  पुलिस ने आनंदपाल को पहले पकड़ लिया था लेकिन, तीन सितंबर 2015 को पेशी पर ले जाते समय आनंदपाल पुलिसकर्मियों को नशीली मिठाई खिलाकर भाग गया था। उसकी फरारी में पुलिस की भी ​भूमिका को लेकर भी सवाल उठे थे। इसके बाद आनंदपाल की नागौर में वसूली की रकम लेने आए आनंदपाल का पुलिस से सामना हुआ। दोनों तरफ से गोलियां चली और इसमें एक पुलिस कर्मी की मौत हो गई थी। जबकि कई पुलिस कर्मी घायल हो गए थे। आनंदपाल एके 47, ऑटोमैटिक मशीन गन, बम और बुलेट प्रूफ जैकेट इस्तेमाल करता था।
पुलिस एनकाउंटर में मारा गया कुख्यात अपराधी आनंदपाल
राजस्थान पुलिस को शनिवार देर शाम एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. पुलिस ने प्रदेश के कुख्यात अपराधी आनंदपाल सिंह को चूरू के रतनगढ़ तहसील के मालासर में एनकाउंटर में मार गिराया है.
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बताया जा रहा है मुठभेड़ के दौरान आनंदपाल ने एके-47 से करीब 100 राउंड फायर किए. वहीं जवाबी फायरिंग में पुलिस की 6 गोलियां उसके सीने में धंसी हैं और उसकी मौके पर ही मौत हो गई.

इस पुलिस एनकाउंटर की पुष्टि राजस्थान के डीजीपी मनोज भट्ट ने कर दी है. साथ ही खबर है कि आनंदपाल के शव को जयपुर लाया जा रहा है.

इस मुठभेड़ में पुलिस ने दो अन्य बदमाशों को भी गिरफ्तार किया है, जिनका नाम देवेंद्र और गट्टू बताया जा रहा है. इसके अलावा मुठभेड़ में पुलिस का एक जवान भी घायल हुआ है.

आपको बता दें कि आनंदपाल 5 लाख रुपए का इनामी बदमाश था और पुलिस इसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार प्रयास कर रही थी, लेकिन उसके हाथ खाली ही रह रहे थे. आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद पुलिस महकमे ने राहत की सांस ली है.

आनंदपाल 2006 में अपराध जगत में शामिल हुआ था. उसी साल उसने राजस्थान के डीडवाना में जीवनराम गोदारा की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी. गोदारा की हत्या के अलावा आनंदपाल के नाम डीडवाना में ही 13 मामले दर्ज थे, जहां 8 मामलों में कोर्ट ने आनंदपाल को भगौड़ा घोषित किया हुआ था.

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Satish Kumar

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