दमा (Asthma)
दमा (Asthma)
सूक्ष्म श्वास नलियों में कोई रोग उत्पन्न हो जाने के कारण जब किसी व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होने लगती है तब यह स्थिति दमा रोग कहलाती है, इस रोग में व्यक्ति को खांसी की समस्या भी होती है।

दमा के लक्षण

  • जब दमा रोग से पीड़ित रोगी को दौरा पड़ता है तो उसे सूखी या ऐठनदार खांसी होती है।
  • जब रोग बहुत अधिक बढ़ जाता है तो दौरा आने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिससे रोगी को सांस लेने में बहुत अधिक दिक्कत आती है तथा व्यक्ति छटपटाने लगता है।
  • दमा रोग से पीड़ित रोगी को कफ सख्त, बदबूदार तथा डोरीदार निकलता है।
  • पीड़ित रोगी को सांस लेनें में बहुत अधिक कठिनाई होती है।
  • यह रोग स्त्री-पुरुष दोनों को हो सकता है।
  • रात के समय में लगभग 2 बजे के बाद दौरे अधिक पड़ते हैं।
  • रोगी को रोग के शुरुआती समय में खांसी, सरसराहट और सांस उखड़ने के दौरे पड़ने लगते हैं।
  • सांस लेते समय अधिक जोर लगाने पर रोगी का चेहरा लाल हो जाता है।
  • सांस लेते समय हल्की-हल्की सीटी बजने की आवाज भी सुनाई पड़ती है।
  • सांस लेने तथा सांस को बाहर छोड़ने में काफी जोर लगाना पड़ता है।

दमा रोग होने के कारण (Causes of Asthma in Hindi)

अस्थमा कई कारणों से होता है कई बार यह जेनेटिक तो कई बार आनुवांशिक भी हो सकता है। कई अन्य कारण निम्न हैं:  
  • औषधियों का अधिक प्रयोग करने के कारण कफ़ सूख जाने से दमा हो जाता है।
  • खान-पान के गलत तरीके से यह रोग हो सकता है।
  • मानसिक तनाव, क्रोध तथा अधिक भय के कारण भी दमा होने का एक कारण है।
  • खून में किसी प्रकार से दोष उत्पन्न हो जाने के कारण भी दमा हो सकता है।
  • नशीले पदार्थों का अधिक सेवन करना भी इस रोग का कारण है।
  • खांसी, जुकाम तथा नजला रोग अधिक समय तक रहने से दमा हो सकता है।
  • भूख से अधिक भोजन खाने से दमा हो सकता है।
  • मिर्च-मसाले, तले-भुने खाद्य पदार्थों तथा गरिष्ठ भोजन करने से यह रोग हो सकता है।
  • फेफड़ों में कमजोरी, हृदय में कमजोरी, गुर्दों में कमजोरी, आंतों में कमजोरी, स्नायुमण्डल में कमजोरी तथा नाकड़ा रोग हो जाने के कारण दमा हो जाता है।
  • मनुष्य की श्वास नलिका में धूल तथा ठंड लग जाने के कारण भी दमा हो सकता है।
  • धूल के कण, खोपड़ी के खुरण्ड, कुछ पौधों के पुष्परज, अण्डे तथा ऐसे ही अन्य पदार्थों का भोजन में अधिक सेवन करने के कारण यह रोग हो सकता है।
  • मनुष्य के शरीर की पाचन नलियों में जलन उत्पन्न करने वाले पदार्थों का सेवन करने से भी दमा हो सकता है।
  • मल-मूत्र के वेग को बार-बार रोकने से यह रोग हो सकता है।
  • गर्द, धुआं, गंदगी, बदबू, गंदे बिस्तर, पुरानी किताबें और कपड़ों की झाड़, खेतों की झाड़, सख्त सर्दी, बरसात, जुकाम, फ्लू, आदि सूक्ष्म कणों का सांस द्वारा फेफड़ों में जाने से दमा हो सकता है।
  • वातावरण में प्रदूषण से होने वाली एलर्जी
  • इसके अलावा कई लोगों में कुछ निश्चित दवाओं (एस्पिरीन और बेटा- ब्लॉकर्स) के सेवन से भी दमा के रिस्क फैक्टर्स बढ़ सकते हैं।
  • अत्यधिक भावनात्मक अभिव्यक्तियां (जैसे चीखने-चिल्लाने या फिर जोरदार तरीके से हंसना भी) भी कुछ लोगों में दमा की समस्या को बढ़ाकर दौरे की स्थिति उत्पन्न कर सकती हैं।
  • अस्थमा या एलर्जी का पारिवारिक इतिहास (आनिवांशिक दमा)
  • जन्म के समय कम वजन और समय से पहले बच्चों का जन्म, जन्म के पहले और / या जन्म के बाद तंबाकू के धुएं के संपर्क
  • भीड़, वायुप्रदूषण, धूल (घर या बाहर की) या पेपर की डस्ट, रसोई का धुआं, नमी, सीलन, मौसम परिवर्तन, सर्दी-जुकाम, धूम्रपान, फास्टफूड्स, तनाव व चिंता, पालतू जानवर के संपर्क में रहना और पेड़-पौधों और फूलों के परागकणों (पौधे के फूलों में पाये जाने वाले सूक्ष्म कणों को परागकण कहते हैं) आदि को शामिल किया जाता है।

सामान्य उपचार

अस्थमा से बचाव (Prevention and Treatment of Asthma In Hindi)

अस्थमा के रोगी को विपरीत माहौल में बेहद संभल कर रहना चाहिए। मौसम बदलते समय अपना अच्छे से ख्याल रखना चाहिए। इसके साथ ही कुछ अन्य बातों का भी ध्यान रखना चाहिए जैसे: 
  • रोगी को गर्म बिस्तर पर सोना चाहिए। 
  • धूम्रपान नहीं करना चाहिए। 
  • भोजन में मिर्च-मसालेदार चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। 
  • धूल तथा धुंए भरे वातावरण से बचना चाहिए। 
  • मानसिक परेशानी, तनाव, क्रोध तथा लड़ाई-झगडों से बचना चाहिए। 
  • शराब, तम्बाकू तथा अन्य नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। 

अन्य उपचार

  • होमियोपैथी
  • आयुर्वेद
  • नेचुरोपैथी

अस्थमा के घरेलू उपचार (Home Remedies For Asthma)

  • लहसुन दमा के इलाज में काफी कारगर साबित होता है। 30 मिली दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है।
  • अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है। सबेरे और शाम इस चाय का सेवन करने से मरीज को फायदा होता है।
  • अदरक का एक चम्मच ताजा रस, एक कप मैथी के काढ़े और स्वादानुसार शहद इस मिश्रण में मिलाएं। दमे के मरीजों के लिए यह मिश्रण लाजवाब साबित होता है।
  • दमा रोगी पानी में अजवाइन मिलाकर इसे उबालें और पानी से उठती भाप लें, यह घरेलू उपाय काफी फायदेमंद होता है।
  • 4-5 लौंग लें और 125 मिली पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाएँ और गरम-गरम पी लें। हर रोज दो से तीन बार यह काढ़ा बनाकर पीने से मरीज को निश्चित रूप से लाभ होता है।
  • 180 मिमी पानी में मुट्ठीभर सहजन की पत्तियां मिलाकर करीब 5 मिनट तक उबालें। मिश्रण को ठंडा होने दें, उसमें चुटकीभर नमक, कालीमिर्च और नीबू रस भी मिलाया जा सकता है। इस सूप का नियमित रूप से इस्तेमाल दमा उपचार में कारगर माना गया है।
  • मैथी का काढ़ा तैयार करने के लिए एक चम्मच मैथीदाना और एक कप पानी उबालें। हर रोज सबेरे-शाम इस मिश्रण का सेवन करने से निश्चित लाभ मिलता है।
  • एक पका केला छिलका लेकर चाकू से लम्बाई में चीरा लगाकर उसमें एक छोटा चम्मच दो ग्राम कपड़ा छान की हुई काली मिर्च भर दें। फिर उसे बगैर छीले ही, केले के वृक्ष के पत्ते में अच्छी तरह लपेट कर डोरे से बांध कर 2-3 घंटे रख दें। बाद में केले के पत्ते सहित उसे आग में इस प्रकार भूने की उपर का पत्ता जले। ठंडा होने पर केले का छिलका निकालकर केला खा लें।