बांग्लादेश के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में अपने करियर का 300वां वनडे मुकाबला खेलने वाले भारत के चैंपियन बल्लेबाज युवराज सिंह जब पाकिस्तान के खिलाफ चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल खेलने मैदान में उतरेंगे तो उनके नाम के साथ एक ऐसा रिकॉर्ड होगा जो आज तक किसी भी बल्लेबाजों के नाम नहीं हुआ। न तो सबसे ज्यादा मुकाबले खेलने वाले सचिन तेंदुलकर उस मुकाम को छू पाए, न ही भारत को तीन आईसीसी ट्रॉफी दिलाने वाले एम एस धोनी ही इसके करीब पहुंच पाए।
फाइनल में उतरने के साथ ही युवराज विश्व के पहले क्रिकेटर बन जाएंगे जिनके नाम आईसीसी के सात फाइनल खेलना का रिकॉर्ड होगा। अपने डेब्यू टूर्नामेंट में ही फाइनल खेलने वाले युवराज 2000 से 2017 तक कुल सात बार आईसीसी टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचे हैं। इन सात फाइनल में युवराज तीन बार 'विजेता' बन कर सामने आए तो चार बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
आईसीसी नॉक आउट 2000- युवराज सिंह को अपने डेब्यू मैच में खेलने का मौका नहीं मिला लेकिन दूसरे मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 84 रन की धमाकेदार पारी के साथ विश्व क्रिकेट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। भारत फाइनल में न्यूजीलैंड से हारा लेकिन युवराज 143 रनों के साथ दूसरे सर्वोच्च स्कोरर रहे।
आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2002 - दो साल बाद टीम इंडिया अपने पुराने रिकॉर्ड को बदलने के लिए फाइनल में पहुंची। गांगुली की कप्तानी में युवराज सिंह एक फिनिशर के रूप में सामने आए थे लेकिन भारतीय टीम यहां भी पूरी तरह से विजेता नहीं बन पाई दो दिन हुई बारिश के कारण भारत को श्रीलंका के साथ खिताब बांटना पड़ा था। युवराज ने इस टूर्नामेंट मे मैच तो खेले पांच लेकिन बल्लेबाजी दो ही मैच में कर पाए और बनाए थे 65 रन। जिसमें 62 रन सेमीफाइनल में साउथ अफ्रीका के खिलाफ ही आए थे।
आईसीसी विश्व कप 2003 - एक साल बाद युवराज एक बार फिर आईसीसी टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचे। हालांकि सौरव गांगुली की कप्तानी में भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ करारी हार मिली। युवराज ने पाकिस्तान और कीनिया के खिलाफ अर्द्धशतक लगाया था तो नामीबिया के खिलाफ 6 रन देकर चार विकेट भी झटके थे। डेब्यू के तीन साल के बाद ही युवराज भारतीय टीम के मजबूत स्तंभ बन गए थे।
टी20 विश्व कप 2007 - इसी विश्व कप में युवराज ने छह गेंदों पर छह छक्का लगाने का कारनामा किया था। पाकिस्तान के खिलाफ पहला मुकाबला जीतने के बाद भारत फाइनल में एक बार फिर पाकिस्तान से भिड़ने उतरा और अपनी पहली कप्तानी में ही धोनी ने भारत को विश्व कप दिला दिया।
विश्व कप 2011 - सचिन के सबसे बड़े सपने को पूरा करने की जिम्मेदारी भारत के सबसे बड़े खिलाड़ी युवराज सिंह के कांधों पर थी। कैंसर से लड़ते हुए युवराज ने भारत को 28 साल बाद विश्व कप दिलाया। बल्ले और गेंद दोनों से युवराज ने शानदार प्रदर्शन किया था और मैन ऑफ द टूर्नामेंट भी बने थे।
टी 20 विश्व 2014 - युवराज के करियर का सबसे खराब फाइनल इसे कह सकते हैं। जिस युवराज सिंह के लिए भारत का हर क्रिकेट प्रेमी कभी दुआएं मांगा करता थो वो क्रिकेट प्रेमी फाइनल में उनकी बल्लेबाजी देख टीम से बाहर करने की मांग करने लगा था। फाइनल जैसे मुकाबले में युवराज 21 गेंद पर 11 रन ही बना पाए जिसके भारत बड़ा स्कोर श्रीलंका के सामने नहीं रख पाया और अंत में भारत को हार मिली।
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