![चीन को लेकर हुआ बेहद सनसनीखेज खुलासा, खुफिया एजेंसियों समेत पीएम मोदी के भी उड़े होश ! china using pakistan against kashmir india चीन को लेकर हुआ बेहद सनसनीखेज खुलासा, खुफिया एजेंसियों समेत पीएम मोदी के भी उड़े होश ! china using pakistan against kashmir india](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj1C-mLWQjgWsLfEs5x7DEgUlF6on_iFFH7_oVc6QS1dyJS9rJprVOGCpxa6hHW6eYCS0wPLC85vxauhzOfEOTSH5bOdGyp9TsDyPnpxDfWGRTtjLtByTCk-JxQZw_oc0oMV_ByTDAJRBI/s1600/fintech.jpg)
चीन की खौफनाक साजिश का खुलासा
दरअसल अब तक भारत कश्मीर में घुसपैठ के लिए पाकिस्तान को ही जिम्मेदार मानता आया है लेकिन आजतक के हाथ चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यानी सिपेक के जो दस्तावेज लगे हैं, उनसे साफ़ होता है कि कश्मीर को आज पाकिस्तान से ज्यादा बड़ा ख़तरा चीन से है.
आज कश्मीर के मामले में पाकिस्तान चीन के मोहरे से ज्यादा कुछ नहीं. अभी हाल ही में जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी अपने बयान में कश्मीर में घुसपैठ के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया था. दस्तावेजों से पता चला है कि महबूबा सच बोल रही थी. चीन एक साजिश के तहत कश्मीर पर कब्जा जमाने की कोशिशों में लगा हुआ है और इसके लिए वो पाकिस्तान को एक मोहरे की तरह इस्तमाल कर रहा है.
पाकिस्तान को गुलाम बनाकर भारत के खिलाफ साजिश
भारत के साथ नफरत पाल रहा पाकिस्तान चीन के हाथों की कठपुतली बन चुका है और इसी का फायदा उठाकर चीन पीओके में अंधाधुंध निवेश कर रहा है. चीन की वन बेल्ट वन रोड नीति का भारत पहले भी विरोध कर चुका है जो पीओके से होकर गुजरती है. दरअसल ओआरओपी के जरिये भी चीन का मकसद कश्मीर में अपनी पैठ बढ़ाने का है.
अब तक भारत को लगता था कि चीन की नज़र केवल अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और भूटान पर ही है लेकिन अब सामने आया है कि चीन से तो दोस्ती की कोई भी उम्मीद करना ही बेमानी है. चीन ने कश्मीर पर कब्जे के लिए बाकायदा 20 साल का एक ब्लूप्रिंट तैयार किया है. इन 20 सालों में चीन की योजना है कि वो पहले पाकिस्तान में भारी निवेश कर के उसकी कृषि पर कब्जा कर लेगा. उसके ऊर्जा संयंत्रों को, कपड़ा उद्योग को और राष्ट्रीय राजमार्गों को भी अपने हाथ में ले लेगा. यहाँ तक कि पाकिस्तान के स्टॉक एक्सचेंज को भी चीन ही नियंत्रित करने लगेगा.
पाकिस्तान पर आर्थिक पकड़ बनाने के बाद पीओके में उसका दखल जायज हो जाएगा क्योंकि वहां उसका खरबों रुपयों का निवेश जो होगा. अपने इन्ही नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए चीन ने पीओके में हर साल अरबों डॉलर का निवेश करना शुरू कर दिया है. भारत पाकिस्तान के साथ ही उलझा रहे, इसके लिए चीन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के भारत के अभियान पर संयुक्त राष्ट्र में वीटो करता रहता है.
भारत पाकिस्तानी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में व्यस्त है और पीछे-पीछे चीन के राष्ट्रीय विकास एवं सुधार आयोग ने भारत को घेरने के लिए ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है. यहाँ तक कि मूर्ख पाकिस्तान के योजना आयोग ने चीन के इस ब्लू प्रिंट को मंजूरी भी दे दी है. बीजिंग की रेनमिन यूनिवर्सिटी ने इस ब्लू प्रिंट का आकलन किया है.
इस सबकी शुरआत अमेरिका के नौ ग्यारह के ट्विन टावर हमले के बाद हुई, जब अमेरिका ने पाकिस्तान को लेकर अपने तेवर सख्त कर लिए. अमेरिका के साथ पाकिस्तान की बढ़ती दूरी का चीन ने फायदा उठाया और उसकी कंगाली का फायदा उठाकर उसकी सीमा में घुसता चला गया. इसी घुसपैठ का आलम ये है कि 2007 में पाकिस्तान के साथ चीन का जो कारोबार 4 अरब डॉलर का था वो 2016 में तीन गुना से भी ज्यादा बढ़कर 14 अरब डॉलर का हो गया.
पाकिस्तान में कुल एफडीआई में से 40 फीसदी हिस्सा आज अकेले चीन का हो चुका है. वहीँ पीछे से चोरी-छिपे चीन पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रमों को भी मदद दे रहा है. पीएम मोदी की अगुवाई में भारत की बढ़ती ताकत से चीन की बेचैनी इतनी बढ़ चुकी है कि वो अब पूरी ताकत से पाकिस्तान को अपना उपनिवेश बनाने पर आमादा है और पाकिस्तान भारत से अपनी नफरत की सनक में अपनी बर्बादी का स्वागत कर रहा है.
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