![जानिए किसने की थी केदारनाथ में सबसे पहले पूजा , नारायण से जुड़ा है रहस्य...kedarnath temple lord vishnu had to austerity and pray lord shiva जानिए किसने की थी केदारनाथ में सबसे पहले पूजा , नारायण से जुड़ा है रहस्य...kedarnath temple lord vishnu had to austerity and pray lord shiva](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh60VkrB-ulK6QL8s8RwVNh2iii0GBCYMK4YXrXiw1x1vYLPEF749EcwPriKftY5U62Zr4ZudelYahgof9i-fobBIs8RF34L_iBau0qRXDjwfEDRuDca1Z2n-gsBlq2_pV37SoGesBfaC0/s320/8314244.jpg)
बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ हिन्दू धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है। जिसके बारे पूरे विश्वभर में लोग जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि केदारनाथ प्रकट कैसे हुआ। उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ जाते हुण् मार्ग में आता है, जो समुद्र तल से 3584 मी. ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर को किसने बनाया, किसने वहां पर सबसे पहले पूजा की।
केदारनाथ उन 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख है, जो स्वयं नारयण विष्णु की पूजा आराधना के बाद प्रकट हुआ। वैसे तो रामेश्वरम को पहला माना जाता है, जो भगवान राम ने शिवजी की पूजा अर्चना करके स्थापित किया। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग विष्णु के अवतार नर नारयण द्वारा तप और आराधना से प्रकट और स्थापित हुए हैं।
माना जाता है कि द्वापर युग में कृष्ण और अर्जुन बने नर -नारायण के बाद इंद्र ने ही केदारेश्वर की पूजा की। हालांकि मौजूदा मंदिर 8वीं सदीं में गुरु शंकराचार्य ने बनवाया था। मंदिर के गर्भगृह में अर्धा के पास चारों कोनों पर चार सुदृढ़ पाषाण स्तंभ है, जहां से होकर प्रदक्षिणा होती है
स्कंद पुराण और शिव पुराण में भी इस मंदिर का वर्णन किया गया है। ठंडे ग्लेशियर और ऊंची चोटियों से घिरे केदारनाथ मंदिर को सर्दियों के दौरान बंद की दिया जाता है और अधिदेवता ऊखीमठ ले जाते हैं। जहां पांच-छह माह वहीं पर उनकी पूजा होती है।
शिवपुराण में कोटिरूद्रसंहिता के अनुसार विष्णु के अवतार धर्मपुत्र नर नारायण हिमालय के बद्रिकाश्रम में पार्थिव लिंग के पूजन के समय विराजमान रहते हैं। उनकी तपस्या के प्रभाव से इन्द्रासन हिलने लगा, जिसके घबराकर इंद्र ने अप्सराओं को भेजा।
इंद्र की सारी कोशिश विफल रही। जिसके कुछ समय बाद महादेव ने प्रकट होकर नर नारयण को वर दिया। नर नारायण की तपस्या और प्रार्थना के बाद केदारेश्वर महादेव के नाम से शिव यहां सदा के लिए प्रतिष्ठित हो गए।
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