जब आप यह सवाल खुद से या किसी से पूछेंगे तो मौटे तौर पर आप जवाब पाएंगे कि महाभारत से पता चलता है कि जुआं-सट्टा बेकार है। कुछ कहेंगे कि उपहास नहीं उड़ाना चाहिए। कुछ कहेंगे कि राजपाट की लालसा बेकार है। कुछ कहेंगे कि गलत का साथ नहीं देना चाहिए। और भी कई तरह की बातें सुनने को मिलेगी जो कि ठीक भी हैं।
लेकिन इनके अलावा भी महाभारत जिंदगी का पाठ पढ़ाती है। कुछ सीख देती है। महाभारत का हर पात्र कुछ सिखाता है। भीष्म हो या कर्ण सबसे कुछ न कुछ तो सीखने को मिलता है। तो लीजिए पढ़िए ऐसी ही कुछ ज्ञान की बातें। वो भी सीधे महाभारत से।
कृष्ण से क्या सीखते हैं
धर्मराज से क्या सीखें
कुंती से क्या सीख मिलती है
कर्ण से क्या सीखते हैं
दयालु, विनम्र और उदार होना ही पर्याप्त नहीं है। अगर बुराई से भरे समाज में बने रहना है तो आपको पता होना चाहिए कि लोग क्या कर रहे हैं, दुनिया कैसे चल रही है।
अगर आपके अंदर ताकत है तो आप राज करेंगे। यह बात मायने नहीं रखती कि आप लड़की हैं, लड़का हैं या कोई और। आपको याद है अर्जुन को कुछ समय बृहन्नला बनकर भी बिताना पड़ा था।
पाण्डवों से क्या सीख मिलती है
भीष्म से क्या सीखें
भीष्म पितामह से आप सीख सकते हैं कि कभी भी ज्यादा लंबे समय के लिए यानी हमेशा के लिए वचन न लें। और ना किसी को दें, क्योंकि भविष्य पर आपका नियंत्रण नहीं है। कहीं ऐसा ना हो कि आपके वचन के कारण आपको पछताना पड़े।
भीम से क्या सीख सकते हैं
अभिमन्यु से क्या सीख मिलती है
महाभारत से क्या सीखते हैं
लेकिन इनके अलावा भी महाभारत जिंदगी का पाठ पढ़ाती है। कुछ सीख देती है। महाभारत का हर पात्र कुछ सिखाता है। भीष्म हो या कर्ण सबसे कुछ न कुछ तो सीखने को मिलता है। तो लीजिए पढ़िए ऐसी ही कुछ ज्ञान की बातें। वो भी सीधे महाभारत से।
कृष्ण से क्या सीखते हैं
आपके मीठे बोल आदमी की ताकत से भी ज्यादा पावरफुल होते हैं। कृष्ण से अच्छा कोई उदाहरण नहीं हो सकता इसलिए हमेशा मीठा बोलिए। कुंती से क्या सीख सकते हैं आप।
धर्मराज युधिष्ठर से सीखने को मिलता है कि हमेशा सच बोलना बेकार नहीं होता। बस गलतियों से सीखते रहें। धर्मराज ने हमेशा धर्म के अनुकूल आचरण किया। सत्य बोला कई बार नुकसान भी हुआ लेकिन सीख लेते हुए वे आगे बढ़ते रहे।
अगर आपसे कोई गलती हुई है तो उसे स्वीकारने की ताकत रखें, क्योंकि छिपाने से भविष्य में स्थिति और भी खराब होगी। कुन्ती ने अगर समय पर बता दिया होता कि कर्ण उनका पुत्र है तो बात कुछ और ही होती।
कर्ण से क्या सीखते हैं
दयालु, विनम्र और उदार होना ही पर्याप्त नहीं है। अगर बुराई से भरे समाज में बने रहना है तो आपको पता होना चाहिए कि लोग क्या कर रहे हैं, दुनिया कैसे चल रही है।
कर्ण से एक चीज और सीखने को मिलती है कि अगर आपमे सीखने की लालसा है तो कुछ भी करके उसे सीख लें। भले इसके लिए आपको उंगली टेढ़ी करनी पडे़। कर्ण को जब द्रोणाचार्य ने धनुर्विद्या सिखाने से मना कर दिया तो कर्ण, परशुराम के पास गए। परशुराम, केवल ब्राम्हणों को धर्नवुद्या सिखाते थे। तब कर्ण ने उनसे झूठ बोला कि वो ब्राम्हण है।अर्जुन से क्या सीखा
अगर आपके अंदर ताकत है तो आप राज करेंगे। यह बात मायने नहीं रखती कि आप लड़की हैं, लड़का हैं या कोई और। आपको याद है अर्जुन को कुछ समय बृहन्नला बनकर भी बिताना पड़ा था।
पाण्डवों से क्या सीख मिलती है
पाण्डवों से सीख मिलती है कि जिंदगी पर बाधाओं का असर मत पड़ने दो। आगे बढ़ते रहो। पाण्डवों ने मुसीबत झेली, लेकिन आगे बढ़ते रहे और आखिरी में जीते। धर्मराज युधिष्ठिर और कृष्ण से क्या सीख मिलती है।
भीष्म पितामह से आप सीख सकते हैं कि कभी भी ज्यादा लंबे समय के लिए यानी हमेशा के लिए वचन न लें। और ना किसी को दें, क्योंकि भविष्य पर आपका नियंत्रण नहीं है। कहीं ऐसा ना हो कि आपके वचन के कारण आपको पछताना पड़े।
भीम से क्या सीख सकते हैं
खूब खाओ, मेहनत करो और स्वस्थ्य रहो। तो बताइए। कैसी लगी आपको ये स्टोरी। अपने दोस्तों को भी बताइएगा।
अभिमन्यु से सीख मिलती है कि आधा ज्ञान खतरनाक होता है। अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु चक्रव्यूह भेदना तो जानते थे, लेकिन उससे बाहर निकलना नहीं जानते थे। यही कारण था कि परिणाम दुखद रहा।
शकुनी से क्या सीख मिलती है
एक बुरी आदत जिंदगी तबाह कर देती है। जैसे कौरवों की बुरी आदत थे शकुनी। हमारे लिए बुरी आदत, ड्रग, ड्रिंक और स्मोकिंग हो सकती है।
दुनिया में हर व्यक्ति सफर कर रहा है, चाहे वह अच्छा हो या बुरा क्योंकि कष्टों को टाला नहीं जा सकता। ज्यादा निगेटिव ना रहें।
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