![नवरात्रि में क्या करे क्या ना करे maa durga navratri what to do नवरात्रि में क्या करे क्या ना करे maa durga navratri what to do](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjzh2lSKU6ZRgTZ2KjYYNVBsRjEMESPWHmOe0E880QmS-2N2yG7XSW0jqFB5gzqmqdKw-kj0d8a_Engpqxn0uh8Jf2IGA9jg_or1oiNn2y6LrM4tjJPgCvH4m2Vr4Rcp0wf0lsYor1BRWA/s320/Maa-vaishno-home.gif)
माँ भगवती की 9 दिनों के नवरात्रों में पूजा सनातन काल से चला आ रहा है | सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका में रावण पर विजय प्राप्त की। तब से ही असत्य पर सत्य की जीत और अधर्म पर, धर्म की जीत का त्यौहार दशहरा मनाया जाने लगा।
नवरात्रि के प्रत्येक दिन 9 अलग अलग माँ के रूपों की पूजा की जाती है | इस 9 दिनों में पवित्रता और शुद्धि का विशेष ध्यान रखा जाता है | इन नियमो का पालन और विधिपूर्वक की गयी पूजा से माँ दुर्गा की कृपा से साधनाएं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। घर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है और नकारात्मक उर्जा ख़त्म होती है |नवरात्र में क्या करें -
- जितना हो सके लाल रंग के आसन पुष्प वस्त्र का प्रयोग करे क्योकि लाल रंग माँ को सर्वोपरी है |
- सुबह और शाम मां के मंदिर में या अपने घर के मंदिर में दीपक प्रज्जवलित करें। संभव हो तो वहीं बैठकर मां का पाठ करें दुर्गा सप्तसती और दुर्गा चालीसा पढ़े ।
- हर दिन माँ की आरती का थाल सजा कर आरती करे ।
- मां को हर दिन पुष्प माला चढाएं।
- नौ दिन तन और मन से उपवास रखें।
- अष्टमी-नवमीं पर विधि विधान से कंजक पूजन करें और उनसे आशीर्वाद जरूर लें।
- घर पर आई किसी भी कन्या को खाली हाथ विदा न करें।
- नवरात्र काल में माँ दुर्गा के नाम की ज्योति अवश्य जलाए। अखण्ड ज्योत जला सकते है तो उतम है। अन्यथा सुबह शाम ज्योत अवश्य जलाए।
- ब्रमचर्य व्रत का पालन करें। संभव हो तो जमीन पर शयन करें ।
- नवरात्र काल में नव कन्याओं को अन्तिम नवरात्र में घर बुलाकर भोजन अवश्य कराए। नवरात्रि में नव कन्याओ का पूजन करे और आवभगत करे ।
जहां तक संभव हो नौ दिन उपवास करें। अगर संभव न हो तो लहसुन-प्याज का सेवन न करें। यह तामसिक भोजन की श्रेणी में आता है।
कैंची का प्रयोग जहां तक हो सके कम से कम करें। दाढी, नाखून व बाल काटना नौ दिन तक बंद रखें।
निंदा, चुगली, लोभ असत्य त्याग कर हर समय मां का गुनगाण करते रहें।
मां के मंदिर में अन्न वाला भोग प्रसाद अर्पित न करे ।
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