कार्तिक माह की त्रयोदशी को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। वैसे तो ये दिन धनतेरस के नाम से प्रख्यात है। दिवाली से दो दिन पहले के इस पर्व पर मां लक्ष्मी के साथ भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन नया सामान खरीदने से धन 13 गुना बढ़ जाता है। धनवंतरी देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण होता है। धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस दिन सोना और चांदी जैसी धातुओं को खरीदना अच्छा माना जाता है। इस मौके पर लोग धन की वर्षा के लिए नए बर्तन और आभूषण खरीदते हैं। ऐसी मान्यता है कि धातु नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करती है। इसलिए धनतेरस पर सोना और चांदी खरीदन परंपरा सदियों से चली आ रही है। हालांकि इस मौके पर सिर्फ सोने और चांदी की ही नहीं बल्कि कई अन्य सामान भी लोग खरीदते हैं।
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इस दिन लोग रात भर अपने घर में दिया जला कर रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे घर में बुराई निवास नहीं कर पाती। इस दिन घरों में देवी लक्ष्मी को खुश करने के लिए भजन भी गाए जाते हैं। इस दिन सोना और चांदी जैसी धातुओं को खरीदना अच्छा माना जाता है। इस मौके पर लोग धन की वर्षा के लिए नए बर्तन और आभूषण खरीदते हैं। ऐसी मान्यता है कि धातु नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करती है। यहां तक कि धातु से आने वाली तरंगे भी थेराप्यूटिक प्रभाव पैदा करती है। इसलिए धनतेरस पर सोना और चांदी खरीदन परंपरा सदियों से चली आ रही है। हालांकि इस मौके पर सिर्फ सोने और चांदी की ही नहीं बल्कि कई अन्य सामान भी लोग खरीदते हैं। कई लोग इस मौके पर बाइक या कार लेना पसंद करते हैं।
इसी मुहूर्त में बहीखाता क्रय करना शुभ रहेगा। इसके बाद संध्या के पूजन मुहूर्त में भी बहीखाता खरीदा जा सकता है। सूर्यास्त के पश्चात अकाल मृत्यु से बचने के लिए घर के मुख्य द्वार पर बाहर की ओर 4 बातियों वाले दीप का दान यानी करें यानी दीप जलाएं। धनतेरस पर रजत यानी चांदी खरीदना सौभाग्य कारक माना जाता है।धनतेरस इमेज डाउनलोडकर अपने चाहने वालो को भेज सकते है
कहते हैं कि इस दिन खरीदे हुए रजत में नौ गुने की वृद्धि हो जाती है। चांदी के बदले चाहें तो ताम्बे की वस्तु भी खरीद सकते हैं। रात्रि में इस दिन आरोग्य के लिए भगवान धन्वन्तरि तथा समृद्धि के लिए कुबेर के साथ लक्ष्मी गणेश का पूजन करके भगवती लक्ष्मी को नैवेद्य में धनिया, गुड़ व धान का लावा अवश्य अर्पित करना चाहिए। रात्रि में ध्यान में प्रविष्ट होकर भजन के द्वारा यानी बाह्य कर्ण बंदकर आत्मा के कानों से ब्रम्हाण्डिय ध्वनियों के श्रवण का अभ्यास आंतरिक व मानसिक बल प्रदान करेगा।
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