🌷 *GuruSatsang*🌷
🌷 *गुरुसत्संग*🌷
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गुरुसत्संग शब्द : कदे जन्म में ,कदे मरण में, कल्प युग बित चार गये - Kade Janm mein ,Kade Maran mein, Kalp Yug Bit Chaar Gaye : GuruSatsang |
*1. कदे जन्म में ,कदे मरण में, कल्प युग बित चार गये।*
*यम राजा की पड़े जेल में,बिन सतगुरु बेहाल हुये ।। टेक।।*
*1 कदे जन्म लिया घर कुमरे के, पिठ बोझा लाद दिये।*
*आठ कोस की मंजील काटी, खाली पेट टोर दिये ।*
*शाम पड़े बेघर होगे ,लोत पोट के दिन गुजार दिये ।।*
*2 कदे जन्म मिला घर तेली के, आंखों के पट्टी बांध दिये।*
*शाम सुबेरे कोल्हु चालै घर में कोस हजार किये।*
*होय बुढ़ा नाथ काढ दिया,गांव गली सब नाप लिये।*
*3 कदे यौनी मिली सर्प की,बम्बी पिटारै में कैद रहे।*
*हाथ पैर सारे छिनगे,पेट पलनिया ले जीव भिरे।*
*देख सो ही मारन भाजै,बिना कसूर के मार दिये।।*
*4.कदे जन्म मिला बन्दर का नाच नाच नाच लिये।*
*तन के उपर लगे तमाचे,बिच सभा में खेल किये।*
*हाथ कटोरा गल में फांसी, रहते पशु भिख मांग लिये।।*
*5. चार खान में जीव फंसा है, लख चौरासी भोग लिये।*
*पशु पंछी कीट पतंगा,जन्म जन्म के हार लिये ।*
*उत्तम चोला नर का कहिये,मिले लख चौरासी भोग लिये*
*6.कई बार बने पशु पखेरू,घर पिंजरे में कैद हुए।*
*कदे बने मीन मुर्गा बकरी, घर कसाई के हलाल हुये।*
*किये कर्म का मिलता चोला,नर्कों में बैसेर किये।।*
*7.जीव जीव का दुश्मन बनके,घर कैदी के कैद हुये।*
*निकलन की कोई राही ना सुझे,जन्म पिछले भूला दिये ।*
*बिन सतगुरु कोई ना साथी,नजर पसार के देख लिये।*
*8. मानस चोला है अनमोला,मिला कर्म जब छार होये।*
*राधास्वामी दया सतगुरु की,साहिब कंवर आन मिले।*
*दास लीलू हो शरण सतगुरु की,अगत जगत संवार लिये।।*
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🌷 *गुरुसत्संग*
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