भारत-चीन विवाद में नया मोड आ गया है। चीन के विदेशमंत्री ने इस्तीफा देने की पेशकश की है।
चीन के विदेशमंत्री वांग यी माले ने कहा है कि चीन की सरकार देश को बर्बादी की तरफ ले जा रही है। अर्थव्यवस्था बिखर चुकी है तब भी भारत के साथ युद्ध लड़ने की बातें की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि ये भारत 1962 वाला भारत नहीं है, ये भारत बेहद शक्तिशाली है।
दूसरी तरफ, सिक्किम सेक्टर के डोकलाम में भारतीय सेना ने चीन को सड़क बनाने से रोक दिया है और बाकायदा तंबू लगाकर इलाके की निगरानी कर रही है। बौखलाए चीन ने तीखी बयानबाजी के बाद अब तिब्बत के पर्वतीय इलाके में सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि आज भारत के पास बेहद खरतनाक हथियार हैं। हमारा पड़ोसी देश परमाणु हथियारों से भी संपन्न है। भारत के साथ युद्ध का मतलब है लाखों सैनिकों की मौत हो जाएगी। उन्होंने भारत के साथ खराब हो रहे संबंधों का हवाला देते हुए इस्तीफे की पेशकश की है।
यह इलाका भौगोलिक रूप से विवादित इलाके जैसा ही है और माना जा रहा है कि इस अभ्यास का डोकलाम विवाद से सीधा संबंध है। चीन के सरकारी टेलीविजन के अनुसार चीनी सेना ने वहां पर 11 घंटे तक लगातार सैन्य अभ्यास किया।
जिस ब्रिगेड ने अभ्यास किया, वह चीन की दो पर्वतीय ब्रिगेडों में से एक है। इस ब्रिगेड की आमतौर पर ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे पर तैनाती रहती है और यह मोर्चे पर हमलावर भूमिका निभाने के लिए प्रशिक्षित है। ताजा युद्धाभ्यास में भी यह अपनी त्वरित तैनाती, हमले के तरीकों और संयुक्त रूप से कार्रवाई करती नजर आई। टेलीविजन पर आए वीडियो में दिखाया गया है कि सैनिक एंटी टैंक ग्रेनेड और मिसाइलों से बंकरों पर हमला कर रहे हैं। इस दौरान तोपों का इस्तेमाल भी किया गया।
युद्धाभ्यास में दुश्मन के विमान खोजने वाले रडार का इस्तेमाल भी किया गया और विमानभेदी तोपें भी दागी गईं। इससे पहले दस जुलाई को तिब्बत मोबाइल कम्युनिकेशन एजेंसी ने ल्हासा में अभ्यास किया था।
उसने युद्ध की स्थितियों के लिए अपनी क्षमताएं परखी थीं। इससे पहले खबर आई थी कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने तिब्बत के पर्वतीय इलाकों में कई नए हथियारों का भी परीक्षण किया। इनमें हल्के वजन के टैंक भी शामिल थे।
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