🌷 *गुरुसत्संग स्वामी जी*🌷
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गुरुसत्संग : Guru Bin Gyan Nahi - Motivational Speech By Sant Shri Asang Dev ji : GuruSatsang
🙏Guru Bin Gyan Nahi🙏
🌷गुरु बिन ज्ञान नहीं, ज्ञान बिन मुक्ति नहीं : परमहंस / गुरु बिन ज्ञान नहीं, ज्ञान बिन मुक्ति नहीं : परमहंस🌷
रानियां रोड स्थित श्री बाबा बिहारी समाधि परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में प्रवचन के दौरान अखिल भारतीय धर्म सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगवान देव परमहंस ने गुरु के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुरु बिन ज्ञान नहीं, ज्ञान के बिना मुक्ति नही। चाहे ब्रह्मा, शंकर के समान महान हो, किंतु गुरु के बिना भवसागर से पार नहीं हो सकते। श्री मद्भागवत कथा के सातवें दिन शनिवार को उन्होंने कहा कि दत्तात्रेय ने 24 गुरु बनाए। दत्तात्रेय ने पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, अजगर, भृंगी आदि पदार्थों से शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने पृथ्वी से सहनशीलता, जल से मधुरता और इसी तरह उन्होंने अन्य प्राकृतिक पदार्थों से गुण ग्रहण किए।
भागवत कथा के अंत में शुकदेव महाराज ने अपने शिष्य को पास में बैठाया और ब्रह्म ज्ञान दिया। शुकदेव गुरु ने कहा मैं शरीर हूं इस गलत धारणा को छोड़ दो। तू शरीर नहीं है। शरीर जन्म लेता है, बढ़ता है, विकसित होता है और अंत में मर जाता है। किंतु तू शरीर नहीं है, इंद्रियां, मन, बुद्धि नहीं हो। आत्मा जब जन्म ही नही लेती तो मरेगी कैसे। उन्होंने कहा कि आत्मा को शस्त्र काट नही सकता, पानी इसे गला नहीं सकता और वायु इसे सुखा नहीं सकती। आत्मा तो अजर अमर है। कथा के दौरान श्रीकृष्ण रूकमणि के विवाह की झांकी निकाली गई।
उनके शिष्य दिनेशानंद शास्त्री ने कहा कि मनुष्य को जीवन मरण के बंधन से मुक्त होकर परमात्मा में ध्यान लगाना चाहिए। शुकदेव जी ने कहा कि हे शिष्य आत्मा ब्रह्म है, परमानंद है। एक लाख तक्षक नाग भी आत्मा को काट नहीं सकते। राजा को गुरु से आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई। बाबा बिहारी ट्रस्ट के प्रधान महेश सुरेकां और योगेंद्र ने बताया कि कथा के समापन पर रविवार को हवन किया जाएगा।
🌷गुरु बिन ज्ञान नहीं 🌷
गुरु बिन ज्ञान नहीं रे।
अंधकार बस तब तक ही है, जब तक है दिनमान नहीं रे॥
मिले न गुरु का अगर सहारा, मिटे नहीं मन का अंधियारा
लक्ष्य नहीं दिखलाई पड़ता, पग आगे रखते मन डरता।
हो पाता है पूरा कोई, भी अभियान नहीं, नहीं रे॥
जब तक रहती गुरु से दूरी, होती मन की प्यास न पूरी।
गुरु मन की पीड़ा हर लेते, दिव्य सरस जीवन कर देते।
गुरु बिन जीवन होता ऐसा, जैसे प्राण नहीं, नहीं रे॥
भटकावों की राहें छोड़ें, गुरु चरणों से मन को जोड़ें।
गुरु के निर्देशों को मानें, इनको सच्ची सम्पत्ति जानें।
धन, बल, साधन, बुद्धि, ज्ञान का, कर अभिमान नहीं नहीं रे॥
गुरु से जब अनुदान मिलेंगे, अति पावन परिणाम मिलेंगे।
टूटेंगे भवबन्धन सारे, खुल जायेंगे, प्रभु के द्वारे।
क्या से क्या तुम बन जाओगे, तुमको ध्यान नहीं, नहीं रे॥
मुक्तक-
गुरु ही ज्ञान ध्यान जप पूजा, गुरु विद्या विश्वास।
🌷 *GuruSatsang*🌷
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