🙏गुरुसत्संग स्वामी जी🙏
एक संत रोज अपने शिष्यों को सतसंग करते थे। सभी शिष्य इससे खुश थे लेकिन एक शिष्य चिंतित दिखा। संत ने उससे इसका कारण पूछा। शिष्य ने कहा- गुरुदेव, मुझे आप जो कुछ बताते हैं, वह समझ में नहीं आता, मैं इसी वजह से चिंतित और दुखी हूं। गुरु ने कहा- कोयला ढोने वाली टोकरी में जल भर कर ले आओ।
गुरुसत्संग : सत्संग का क्या महत्व - What is the importance of Satsang : GuruSatsang |
शिष्य चकित हुआ, आखिर टोकरी में कैसे जल भरेगा? लेकिन चूंकि गुरु ने यह आदेश दिया था, इसलिए उसने टोकरी में नदी का जल भरा और दौड़ पड़ा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जल टोकरी से छन कर गिर गया। उसने टोकरी में जल भर कर कई बार गुरु जी तक दौड़ लगाई लेकिन टोकरी में जल टिकता ही नहीं था। तब वह अपने गुरुदेव के पास गया और बोला- गुरुदेव, टोकरी में पानी ले आना संभव नहीं, कोई फायदा नहीं। गुरु जी बोले- फायदा है। टोकरी में देखो। शिष्य ने देखा- बार बार पानी में कोयले की टोकरी डुबाने से स्वच्छ हो गई है। उसका कालापन धुल गया है। गुरु ने कहा- ठीक जैसे कोयले की टोकरी स्वच्छ हो गई और तुम्हें पता भी नहीं चला। उसी तरह सत्संग बार बार सुनने से ही गुरु कृपा शुरू हो जाती है । भले ही अभी तुम्हारी समझ में नहीं आ रहा है लेकिन तुम सत्संग का लाभ अपने जीवन मे जरुर महसूस करोगे और हमेशा गुरु की रहमत तुम पर बनी रहेगी
🙏GuruSatsang🙏
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