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Sai Baba
साईबाबा का असल नाम और जन्मनाम आज तक किसी को पता नही है। कुछ लोगो का ऐसा मानना है की उनका जन्म 28 सितम्बर 1835 में हुआ था, लेकिन इससे संबंधित को पर्याप्त दस्तावेज नही है। अक्सर जब उनसे उनके भूतकाल के बारे में पूछा जाता था तब हमेशा वे दुर्ग्राह्य जवाब देते थे। “साईं” नाम उन्हें उनके शिर्डी आने पर दिया गया था, शिर्डी महाराष्ट्र के पश्चिम का एक गाँव है। साईं शब्द धार्मिक भिक्षुको से जुड़ा हुआ है। बहुत सी भारतीय और मध्य पूर्व भाषाओ में “बाबा” शब्द साधारणतः बड़े पापा, पापा और किसी वृद्ध पुरुष के संबोधन में बोला जाता था। इसीलिए साईं बाबा को लोग एक पवित्र और धार्मिक पिता मानते थे। साईं बाबा के कुछ अनुयायी भी उस समय में धार्मिक संत और गुरु के नाम से प्रसिद्ध हुए थे, जैसे की शिर्डी के खंडोबा मंदिर का पुजारी महालसापति और उपासनी महाराज। दुसरे धार्मिक गुरु भी उनका बहुत सम्मान करते थे जैसे की संत बिड़कर महाराज, संत गंगागीर, संत जानकीदास महाराज और सती गोदावरी माताजी। साईबाबा सभी बाबाओ को अपना भाई कहते थे, विशेषतः अक्कलकोट के स्वामी समर्थ को वे अपना भाई मानते थे।

 साईं बाबा जिन्हें शिरडी के साईं बाबा भी कहते है एक भारतीय आध्यात्मिक गुरु थे जिनको उनके भक्त फ़कीर या सतगुरु कहकर बुलाते थे | उनके भक्त हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदायों के थे जबकि वो स्वय हिन्दू थे आय मुस्लिम ये अभी भी रहस्य है | उन्होंने सच्चे सतगुरु या मुर्शिद की राह दिखाई और आध्यात्मिकता का पाठ पढ़ाया | साईं बाबा के चमत्कारों की वजह से दूर दूर से लोग मिलने आते थे और धीरे धीरे वो एक प्रसिद्ध संत के रूप में जाने जाने लगे | साईं बाबा को आज पुरे विश्व में पूजा जाता है और प्रतिदिन अनेको लोग शिरडी के साईं बाबा मन्दिर में उनके दर्शन करने आते है |

शिरडी साईं बाबा का प्रारम्भिक जीवन 

साई बाबा का जन्म 28 सितम्बर 1835 को महाराष्ट्र के पथरी गाँव में हुआ था |  साईं बाबा के माता पिता और बचपन की इतिहास में कोई जानकारी नही है | उनके बारे में पहली जानकारी साईं सत्चरित्र किताब में शिरडी गाँव से प्राप्त होती है | साईं बाबा 16 वर्ष की उम्र में अहमदनगर जिले के शिरडी गाँव में पहुचे |  यहा पर उन्होंने एक नीम के पेड़ के नीचे आसन में बैठकर तपस्वी जीवन बिताना शुरू कर दिया | जब गाँव वालो ने उन्हें देखा तो वो चौंक गये क्योंकि इतने युवा व्यक्ति को इतनी कठोर तपस्या करते हुए उन्होंने पहले कभी नही देखा | वो ध्यान में इतने लींन थे कि उनको सर्दी , गर्मी और बरसात का कोई एहसास नही हो रहा था |

दिन में उनके पास कोई नही होता और रात को वो किसी से नही डरते थे |उनकी इस कठोर तपस्या ने गाँववालो का ध्यान उनकी ओर खीचा और कई धार्मिक लोग नियमित उनको देखने आते थे | कुछ लोग उनको पागल कहकर उन पर पत्थर फेंकते थे | साईं बाबा एक दिन अचानक गाँव से चले गये और किसी को पता नही चला | वो तीन वर्ष तक शिरडी में रहे और उसके बाद शिरडी से गायब हो गये | उसके बाद एक साल बाद वो फिर शिरडी लौटे और हमेशा के लिए वहा बस गये |

साईं सत्चरित्र किताब के अनुसार, साईं जब 16 साल के थे तभी ब्रिटिश भारत के महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर जिले के शिर्डी गाँव में आए थे। वे एक सन्यासी बनकर जिन्दगी जी रहे थे, और हमेशा नीम के पेड़ के निचे ध्यान लगाकर बैठे रहते या आसन में बैठकर भगवान की भक्ति में लीन हो जाते थे। श्री साईं सत्चरित्र में गाँव वालो की उनके प्रति की प्रतिक्रिया का भी उल्लेख किया गया है।

गाँव के लोग भी उस 16 साल के लड़के को लगातार ध्यान, लगाता हुआ देख आश्चर्यचकित थे, क्योकि ठंडी और गर्मी का उनके शरीर पर कोई प्रभाव दिखाई नही दे रहा था। दिन में वे किसी से नही मिलते थे और रात में उन्हें किसी का डर नही था।

उनकी मौजूदगी ने गाँव वालो की जिज्ञासा को आकर्षित किया था और रोज़ उन्हें धार्मिक प्रवृत्ति के लोग जैसे महालसापति, अप्पा जोगले और काशीनाथ मिलने आया करते थे। कुछ लोग उन्हें पागल समझते थे तो कुछ लोग उनपर पत्थर भी फेकते थे। इसके बाद साईबाबा ने गाँव छोड़ दिया था और इसके बाद गाँव वालो को उनकी थोड़ी जानकारी मिली थी।

जानकारों के अनुसार से बहुत से संत और फकीरों से मिले थे और जुलाहा की तरह काम करते थे। कहा जाता है की 1857 में रानी लक्ष्मीबाई के समय में भारतीय क्रांति के समय में भी साईबाबा थे। ऐसा माना जाता है की सबसे पहले साईबाबा तीन साल तक शिर्डी रहे थे और फिर एक साल तक गायब हो गये थे और फिर हमेशा के लिए 1858 में शिर्डी वापिस आ गये थे, जिनमे उनके जन्म को 1838 का बताया गया था।

साई बाबा का शिरडी दुबारा लौटना

1858 में साईं बाबा फिर शिरडी लौटे |  इस बार उन्होंने वेशभूषा का अलग तरीका अपनाया जिसमे उन्होंने घुटनों तक एक कफनी बागा और एक कपड़े की टोपी पहन रखी थी | उनके एक भक्त रामगिर बुआ ने बताया कि जब वो शिरडी आये तब उन्होंने खिलाड़ी की तरह कपड़े और कमर तक लम्बे बाल थे जिन्होंने उसे कभी नही कटवाए | उनके कपड़ो को देखकर वो सूफी संत लग रहे थे जिसे देखकर गाँव वालो ने उन्हें मुस्लिम फकीर समझा |  इसी कारण एक हिन्दू गाँव होने के कारण उनका उचित सत्कार नही किया गया था |

लगभग 5 वर्षो तक वो नीम के पेड़ के नीचे रहे और अक्सर लम्बे समय तक शिरडी के पास के जंगलो में घूमते रहते थे | वो किसी से ज्यादा बोलते नही थे क्योंकि उन्होंने लम्बे समय तक तपस्या की थी |अंततः उन्होंने एक जर्जर मस्जिद को अपना घर बनाया और एकाकी जीवन बिताने लगे | वहा पर बैठने से आने जाने वाले लोग उनको भिक्षा दे देते थे जिससे उनका जीवन चल जाता था |उस मस्जिद में उन्होंने एक धुनी जलाई जिससे निकली राख को उनसे मिलने वालो को देते थे | ऐसा माना जाता है कि उस राख में चिकत्सीय शक्ति थी |

वो अब गाँव वालो के लिए एक हकीम बन गये थे जो राख से उनकी बीमारी दूर करते  थे | साईं बाबा उनसे मिलने वालो को आध्यात्मिक शिक्षा भी देते थे और उन्हें पवित्र हिन्दू ग्रंथो के साथ कुरान भी पढने को कहते थे |वो ईश्वर के अटूट स्मरण के लिए अपरिहार्यता के लिए प्रेरित करते और अक्सर गुप्त तरीको दृष्टान्तों, प्रतीक और रूपक से खुद को व्यक्त करते थे | 1910 ईस्वी के बाद साईं बाबा की प्रसिधी मुंबई तक फ़ैल गयी | अनेक लोग उनसे मिलने आने लगे क्योंकि उनके चमत्कारी तरीको की कारण उन्हें संत मानते थे |

Shirdi Sai Baba साईं बाबा ने “सबका मालिक एक ” का नारा दिया था जिससे हिन्दू मुस्लिम सदभाव बना रहे | उन्होंने अपने जीवन में हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मो का अनुसरण किया | वो अक्सर कहा करते थे “मुझ पर विशवास करो , तुम्हारी प्रार्थना का उत्तर दिया जाएगा ” | वो हमेशा अपनी जबान पर “अल्लाह मालिक ” बोलते रहते थे |

Shirdi Sai Baba साईं बाबा ने अपने पीछे ना कोई आध्यात्मिक वारिस और ना कोई अनुयायी छोड़ा  | इसके अलावा उन्होंने कई लोगो के अनुरोध के बावजूद किसी को दीक्षा दी | उनके कुछ अनुयायी अपने आध्यात्मिक पहचान की वजह से प्रसिद्ध हुए जिनमे सकोरी के उपासनी महाराज का नाम आता है | साईं बाबा की मृत्यु 15 अक्टूबर 1918 को शिरडी गाँव में ही हुयी | मृत्य के समय उनकी उम्र 83 वर्ष थी |Shirdi Sai Baba साईं बाबा की मृत्यु के बाद उनके भक्त उपासनी महाराज को प्रतिदिन आरती सौपते थे जब भी वो शिरडी आते थे |

1858 में साईबाबा शिर्डी वापिस आए थे। इस समय वे अलग ही तरह के कपडे पहने हुए थे, उपर उन्होंने घुटनों तक कफनी पोशाक और कपड़ो की ही एक टोपी पहन रखी थी। उनके एक अनुयायी रामगिर बुआ ने ध्यान से देखने पर पाया की साईबाबा ने एक व्यायामी की तरह कपडे पहने हुए है, कपड़ो के साथ-साथ उनके बाल भी काफी घने और लम्बे थे। जब लम्बे समय के बाद वे शिर्डी लौटकर आए थे तो लोगो को उनका एक नया रूप देखने मिला था। उनकी पोषाख के अनुसार वे एक मुस्लिम फ़क़ीर लग रहे थे और लोग उन्हें हिन्दू और मुस्लिम दोनों का गुरु मानते थे।

वापिस आने के बाद तक़रीबन 4 से 5 साल तक साईबाबा एक नीम के पेड़ के निचे रहते थे और अक्सर कभी-कभी लम्बे समय के लिए शिर्डी के जंगलो में भी चले जाते थे। लंबे समय तक ध्यान में लगे रहने की वजह से वे कयी दिनों तक लोगो से बात भी नही करते थे। लेकिन बाद में कुछ समय बाद लोगो ने उन्हें एक पुरानी मस्जिद रहने के लिए दी, वहाँ वे लोगो से भिक्षा मांगकर रहते थे और वहाँ उनसे मिलने रोज़ बहुत से हिन्दू और मुस्लिम भक्त आया करते थे। मस्जिद में पवित्र धार्मिक आग भी जलाते थे जिसे उन्होंने धुनी का नाम दिया था, लोगो के अनुसार उस धुनी में एक अद्भुत चमत्कारिक शक्तियाँ थी, उस धुनी से ही साईबाबा अपने भक्तो को जाने से पहले उधि देते थे। लोगो के अनुसार साईबाबा द्वारा दी गयी उस उधि में अद्भुत ताकत होती थी। संत के साथ-साथ वे एक स्थानिक हकीम की भूमिका भी निभाते थे और बीमार लोगो को अपनी धुनी से ठीक करते थे। साईबाबा अपने भक्तो को धार्मिक पाठ भी पढ़ाते थे, और हिन्दुओ को रामायण और भगवत गीता और मुस्लिमो को कुरान पढने के लिए कहते थे।

1910 के बाद साईबाबा की ख्याति मुंबई में फैलती गयी। इसके बाद बहुत से लोग उनके दर्शन करने आते गये क्योकि उन्हें एक चमत्कारिक और शक्तिशाली अवतार और बाबा मानने लगे थे लोग। इसके बाद गाँव वालो ने उनका पहला मंदिर भिवपुरी, कर्जत में बनाया।

श्री साईं बाबा समाधी वाला दिन
साईं बाबा अपने अंतिम दिनों में अपने भक्तो से धार्मिक पुस्तके पढवाते थे और उन्हें उस पुस्तक का आंतरिक ज्ञान समझाते थे .

यह हर दिन सुबह और शाम को होता था .
  8 अक्टूम्बर  1918  वाले दिन बाबा साईं बहूत कमजोर हो गये . वे मस्जिद की दीवार पर बेठ गये. आरती और पूजा रोज की तरह होती थी .
साईं बाबा के पास भक्तो को जाने नही दिया जा रहा था बाबा बीमार जो हो गये थे .
कुछ लोग एक चीते के साथ गाव में आये कुछ तमाशा दिखा कर पैसा कमाने 
चीता भी बीमारी की वजह से कमजोर हो गया था . जब चीता बाबा के सामने आया तब साईं बाबा ने उस बीमार चीते की आँखों में देखा . चीते ने भी बाबा को इस तरह देखा की वो कह रहा हो की हे साईं बाबा मुझे अब मुक्ति दिला दो इस दुनिया से . चीते की आँखों में आंसू थे . बाबा ने उस चीते की मदद उसकी मुक्ति के साथ की .
बाबा साईं अपने अंतिम दिनों में दिनों दिन कमजोर होते जा रहे थे .पर उन्होंने अपने इस बीमारी में भी अपने भक्तो से मिलना उन्हें उड़ी देना उन्हें ज्ञान देना नही छोड़ा. वे तो अपना सबकुछ पहले से ही अपने भक्तो के नाम कर चुके थे .
उनके सभी भक्त बाबा की बीमारी से बहूत दुखी थी और प्राथना कर रहे थे की साईं बाबा जल्दी ठीक हो जाए
अंतिम दिन
मंगलवार १५ ओक्टोम्बेर १९१८ विजयदशमी का दिन था साईं बाबा बहूत कमजोर हो गये थे . रोज की तरह भक्त उनके दर्शन के लिए आ रहे थे 

साईं बाबा उन्हें प्रसाद और उड़ी दे रहे थे भक्त बाबा से ज्ञान भी प्राप्त कर रहे थे पर किसी भक्त ने नही सोचा की आज बाबा के शरीर का अंतिम दिन है .

सुबह की ११ बज गयी थी .

दोपहर की आरती का समय हो गया था और उसकी त्यारिया चल रही थी कोई देविक प्रकाश बाबा के शरीर में समां गया 

आरती सुरु हो गयी और बाबा साईं का चेहरा हर बार बदलता हुआ प्रतीत हुआ . बाबा ने पल पल में सभी देवी देवताओ के रूप के दर्शन अपने भक्तो को कराये वे राम शिव कृष्णा वितल मारुती मक्का मदीना जीसस क्राइस्ट के रूप दिखे 

आरती पूर्ण हुई .

बाबा साईं ने अपने भक्तो को कहा की अब आप मुझे अकेला छोड़ दे .

सभी वहा से चले गये साईं बाबा के तब एक जानलेवा खांसी चली और खून की उलटी हुई . तात्या बाबा का एक भक्त तो मरण के करीब था वो अब ठीक हो गया उसे पता भी न चला की वो किस चमत्कार से ठीक हुआ है वह बाबा को धन्यवाद देने बाबा के निवास आने लगा पर बाबा का सांसारिक शरीर तो येही रह गया था .

साईं बाबा ने कहा था की मरने का बाद उनके शरीर को बुट्टी वाडा में रख दिया जाए वो अपने भकतो कि हमेशा सहयता करते रहेगें. 

साईं बाबा के भक्त और मन्दिर

Shirdi Sai Baba शिरडी साईं बाबा आंदोलन 19वी सदी में शुरू हुआ जब वो शिरडी रहते थे |एक स्थानीय खंडोबा पुँजारी म्हाल्सप्ति उनका पहला भक्त था | 19 वी सदी तक साईं बाबा के अनुयायी केवल शिरडी और आस पास के गाँवों तक ही सिमित थे | Shirdi Sai Baba साईं बाबा का पहला मन्दिर भिवपुरी में स्तिथ है |शिरडी साईं बाबा के मंदिर में प्रतिदिन 20000 श्रुधालू  आते है और त्योहारों के दिनों में ये संख्या एक लाख तक पहुच जाती है | Shirdi Sai Baba शिरडी साईं बाबा को विशेषत : महराष्ट्र , उडीसा . आंध्रप्रदेश , कर्नाटक , तमिलनाडु और गुजरात में पूजा जाता है |2012 में एक अज्ञात श्रुधालू ने पहली बार 11.8 करोड़ के दो कीमती शिरडी मन्दिर में चढाये जिसको बाद में साईं बाबा ट्रस्ट के लोगो ने सबको बताया | शिरडी साईं बाबा के भक्त पुरे विश्व में फैले हुए है |

पूर्व जीवन

भक्तों और ऐतिहासकार इस बात से सहमत हैं कि जन्म स्थान और तिथि के सन्दर्भ में कोई भी विश्वनीय स्रोत उपलब्द्ध नहीं है। यह ज्ञात है कि उन्होंने काफ़ी समय मुस्लिम फकीरों संग व्यतित किया लेकिन माना जाता है कि उन्होंने किसी के साथ कोई भी व्यवहार धर्म के आधार पर नहीं किया। उनके एक शिष्य दास गनु द्वारा पथरी गांव पर तत्कालीन काल पर शोध किया जिसके चार पृष्ठों में साईं के बाल्यकाल का पुनःनिर्मित किया है जिसे श्री साईं गुरुचरित्र भी कहा जाता है। दास गनु के अनुसार उनका बाल्यकाल पथरी ग्राम में एक फकीर और उनकी पत्नी के साथ गुजरा। लगभग सोलह वर्ष की आयु में वो अहमदनगर, महाराष्ट्र के शिरडी ग्राम में पहुंचे और मृत्यु पर्यंत वहीं रहे।


शिरडी गाँव की वृद्धा जो नाना चोपदार की माँ थी उसके अनुसार एक युवा जो अत्यन्त सुन्दर नीम वृक्ष के नीचे समाधि में लीन दिखाई पड़ा| अति अल्प आयु में बालक को कठोर तपस्या में देख कर लोग आश्चर्य चकित थे| तपस्या में लीन बालक को सर्दी-गर्मी व वर्षा की जरा भी चिंता न थी| आत्मसंयमी बालक के दर्शन करने के लिए अपार जन समूह उमड़ने लगा|

यह अदभुत बालक दिन में किसी का साथ नहीं करता था| उसे रात्रि के सुनसान वातावरण में कोई भय नहीं सताता था| "यह बालक कहाँ से आया था?" यह प्रश्न सबको व्याकुल कर देता था| दिखने में वह बालक बहुत सुन्दर था| जो उसे एक बार देख लेता उसे बार बार देखने की इच्छा होती| वे इस बात से हैरान थे कि यह सुन्दर रूपवान बालक दिन रात खुले आकाश के नीचे कैसे रहता है| वह प्रेम और वैराग्य की साक्षात् मूर्ति दिखाई पड़ते थे|

उन्हें अपने मान अपमान की कभी चिंता नहीं सताती थी| वे साधारण मनुष्यों के साथ मिलकर रहते थे, न्रत्य देखते, गजल व कवाली सुनते हुए अपना सिर हिलाकर उनकी प्रशंसा भी करते| इतना सब कुछ होते हुए भी उनकी समाधि भंग न होती| जब दुनिया जागती थी तब वह सोते थे, जब दुनिया सोती थी तब वह जागते थे| बाबा ने स्वयं को कभी भगवान नहीं माना| वह प्रत्येक चमत्कार को भगवान का वरदान मानते| सुख - दुःख उनपर कोई प्रभाव न डालते थे| संतो का कार्य करने का ढंग अलग ही होता है| कहने को साईं बाबा एक जगह निवास करते थे पर उन्हें विश्व एक समस्त व्यवहारों व व्यापारों का पूर्ण ज्ञान था|

पानी से दिया जलाना

Shirdi Sai Baba साईं बाबा को उनकी मस्जिद और दुसरे मन्दिरों में दिया जलाने का बहुत शौक था लेकिन तेल के लिए उनको वहा के बनियों पर आश्रित रहना पड़ता था | वो प्रत्येक शाम को दिया जलाते और बनियों से दान ले जाते | बनिये साईं बाबा को मुफ्त का तेल देकर थक गये थे और एक दिन उन्होंने साईं बाबा से माफी मांगते हुए तेल देने से मना कर दिया और कहा कि उनके पास तेल नही बचा | बिना किसी विरोध के साईं बाबा वापस अपने मस्जिद में लौट गये | अब उन मिटटी के दियो में उन्होंने पानी भरा और बाती जला दी | वो दिया मध्यरात्री तक जलता रहा |जब इसकी सुचना बनियों तक पहुची तो साईं बाबा के पास विपुल क्षमायाचना के लिए आये | साईं बाबा ने उन्हें क्षमा करदिया और कहा कि दुबारा झूठ मत बोलना | इस तरह साईं बाबा ने अपना चमत्कार दिखाते हुए पानी से दिया जला दिया |

नाम स्मरण

जय ऊँ, जय ऊँ, जय जय ऊँ, ऊँ, ऊँ, ऊँ, ऊँ, जय जय ऊँ| जय साईं, जय साईं, जय साईं ऊँ, ऊँ साईं, ऊँ साईं, ऊँ साईं|

बारिश रोकना

एक बार राय बहादुर नाम का व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ साईं बाबा के दर्शन के लिए शिरडी आया |  जैसे ही वो पति पत्नी बाबा के दर्शन करवापस जाने लगे ,मूसलाधार बारिश शुरु हो गयी | जोरो से बिजलिया कडकने लगी और तूफ़ान चलने लगा | साईं बाबा ने प्रार्थना की “हे अल्लाह , बारिश को रोक दो , मेरे बच्चे घर जा रहे है  उन्हें शांति से घर जाने दो ” | उसके बाद बारिश बंद हो गयी और वो पति-पत्नी सकुशल घर पहुच गये |

वन्दना

यह सौंप दिया सारा जीवन, साईंनाथ तुम्हारे चरणों में| अब जीत तुम्हारे चरणों में, अब हार तुम्हारे चरणों में||

मैं जग में रहूं तो ऐसे रहूं, ज्यों जल में कमल का फूल रहे| मेरे अवगुण दोष समर्पित हों, हे नाथ तुम्हारे चरणो में|| अब सौंप दिया...

मेरा निश्चय है बस एक यही, इक बार तुम्हें मैं पा जाऊं| अर्पित कर दूं दुनियाभर का सब प्यार तुम्हारे चरणों में|| अब सौंप दिया...

जब-जब मानव का जन्म मिले, तब-तब चरणों का पुजारी बनूं| इस सेवक की एक-एक रग का हो तार तुम्हारे हाथ में|| अब सौंप दिया...

मुझमें तुमसें भेद यही, मैं नर हूं, तुम नारायण हो| मैं हूँ संसार के हाथों में, संसार तुम्हारे चरणों में|| अब सौंप दिया...

डूबती बच्ची को बचाना

एक बार बाबु नामक व्यक्ति की तीन साल की बच्ची कुंवे में गिर गयी और डूबने लगी | जब गाँव वाले कुए के पास दौड़े उन्होंने देखा बच्ची हवा में लटक रही थी जैसे किसी अदृश्य हाथ ने उसे पकड़ रखा हो और उसे उपर तक खीच लिए |साईं बाबा को वो बच्ची बहुत प्यारी थी जो अक्सर कहा करती  थी “मै बाबा की बहन हु ” | इस घटना के बाद गाँव वालो ने कहा “ये सब बाबा की लीला है “| इसके अलावा इस चमत्कार को ओर कोई स्पष्टीकरण नही हुआ था |

आरती

आरती श्री साईं गुरुवर की | परमानन्द सदा सुरवर की ||

जा की कृपा विपुल सुखकारी | दुःख, शोक, संकट, भयहारी ||

शिरडी में अवतार रचाया | चमत्कार से तत्व दिखाया ||

कितने भक्त चरण पर आये | वे सुख शान्ति चिरंतन पाये ||

भाव धरै जो मन में जैसा | पावत अनुभव वो ही वैसा ||

गुरु की उदी लगावे तन को | समाधान लाभत उस मन को ||

साईं नाम सदा जो गावे | सो फल जग में शाश्वत पावे ||

गुरुवासर करि पूजा - सेवा | उस पर कृपा करत गुरुदेवा ||

राम, कृष्ण, हनुमान रूप में | दे दर्शन, जानत जो मन में ||

विविध धर्म के सेवक आते | दर्शन कर इच्छित फल पाते ||

जै बोलो साईं बाबा की | जो बोलो अवधूत गुरु की ||

'साईंदास' आरती को गावे | घर में बसि सुख, मंगल पावे ||

शिरडी साईं बाबा के अनमोल वचन ! Sai Baba Quotes in Hindi

मैं हर एक वस्तु में हूँ और उस वस्तु से परे भी. मैं सभी रिक्त स्थान को भरता हूँ.
Sai Baba साईं बाबा

सबका मालिक एक है.
Sai Baba साईं बाबा

 मैं डगमगाता या हिलता नहीं हूँ.
Sai Baba साईं बाबा

यदि तुम मुझे अपने विचारों और उद्देश्य की एकमात्र वस्तु रखोगे, तो तुम सर्वोच्च लक्ष्य प्राप्त करोगे.
Sai Baba साईं बाबा

अपने गुरु में पूर्ण रूप से विश्वास करें. यही साधना है.
Sai Baba साईं बाबा

मैं अपने भक्त का गुलाम हूँ.
Sai Baba साईं बाबा

मेरे रहते डर कैसा?
Sai Baba साईं बाबा

मेरा काम तो आशीर्वाद देना है.
Sai Baba साईं बाबा

मैं तुम्हे अंत तक ले जाऊंगा.
Sai Baba साईं बाबा

सम्पूर्ण रूप से ईश्वर में समर्पित हो जाइये.
Sai Baba साईं बाबा

मैं निराकार हूँ और मैं सर्वत्र हूँ.
Sai Baba साईं बाबा

मेरी शरण में आइये और शांत रहिये. मैं बाकी सब कर दूंगा.
Sai Baba साईं बाबा

यदि कोई अपना पूरा समय मुझमें लगाता है और मेरी शरण में आता है तो उसे अपने शरीर या आत्मा के लिए कोई डर नहीं होना चाहिए.
Sai Baba साईं बाबा

यदि कोई सिर्फ मुझको देखता है और सिर्फ मेरी लीलाओं को सुनता है व खुद को सिर्फ मुझमें समर्पित करता है तो वह भगवान तक पंहुच जायेगा.
Sai Baba साईं बाबा

मैं अपने भक्तों का बुरा नहीं होने दूंगा.
Sai Baba साईं बाबा

अगर मेरा भक्त गिरने वाला होता है तो मैं अपने हाथो बढ़ा कर उसे सहारा देता हूँ.
Sai Baba साईं बाबा

हमारा कर्तव्य क्या है ? ठीक से व्यवहार करना. ये काफी है.
Sai Baba साईं बाबा

जो मुझे प्रेम करते हैं मेरी दृष्टि हमेशा उन पर रहती है.
Sai Baba साईं बाबा

तुम जो भी करते हो, तुम चाहे जहाँ भी हो, हमेशा इस बात को याद रखो: मुझे हमेशा इस बात का ज्ञान रहता है कि तुम क्या कर रहे हो.
Sai Baba साईं बाबा

मैं अपने लोगों के बारे में दिन रात सोचता हूँ. मैं बार-बार उनके नाम लेता हूँ.
Sai Baba साईं बाबा

आप जो कुछ भी देखते हैं उसका संग्रह मैं ही हूँ.
Sai Baba साईं बाबा


ग्यारह वचन

  • जो शिरडी में आएगा| आपद दूर भगाएगा|
  • चढ़े समाधि की सीढ़ी पर| पैर तले दुःख की पीढ़ी कर|
  • त्याग शरीर चला जाऊँगा| भक्त हेतु दौड़ा आऊँगा|
  • मन में रखना दृढ़ विश्वास| करे समाधि पूरी आस|
  • मुझे सदा जीवित ही जानो| अनुभव करो सत्य पहचानो|
  • मेरी शरण आ खाली जाये| हो तो कोई मुझे बताये|
  • जैसा भाव रहा जिस जन का| वैसा रूप हुआ मेरे मन का|
  • भार तुम्हारा मुझ पर होगा| वचन न मेरा झूठा होगा|
  • आ सहायता लो भरपूर| जो माँगा व नहीं है दूर|
  • मुझमें लीन वचन मन काया| उसका ऋण न कभी चुकाया|
  • धन्य धन्य व भक्त अनन्य| मेरी शरण तज जिसे न अन्य|



प्रार्थना

साईं कृपा से व्रत कथा लिखवाई, भक्तों के हाथों में पहुंची| साईं गुरुवार व्रत करे जो कोई, उसका कल्याण तो हरदम होई|

घर बार सुख शांति होवे, साईं ध्यान करे जो सोवे| भोग लगावे निसदिन बाबा को जोई उसके घर में कमी न होई|

बाबा की प्रार्थना करिए, साईं मेरे दुःख को हरिए| शिरडी में बाबा की मूर्ति है प्यारी, भक्तों को लगे है न्यारी|

मेरे साईं मेरे बाबा, मेरा मन्दिर मेरा काबा| राम भी तुम शाम भी तुम हो, शिवजी का अवतार भी तुम हो|

हनुमान तुम ही हो साईं, तुम्ही ने थी लंका जलाई| कलियुग में तुम आए थे साईं, भक्तों का कल्याण हो जाई|

भक्तिभाव से पड़े कथा जो, उसकी इच्छा पूरी हो जाती| बाबा मेरे आओ साईं हमको दर्शन दिखलाओ साईं|

तुम बिन दिल नहीं लगता, आंसू का दरिया है निकलता| जब-जब देखें तेरी मूरत, तब-तब भीग जाए मेरी मूरत|

अंधन को आंखे देते, दीन दुखी के दुख हर लेते| तुम सा नहीं है कोई सहाई, जपते रहें हम साईं साईं|

नाम तुम्हारा मंगलकारी, भवसागर से भक्तों को तारी| बाबा मेरे अवगुण माफ कर देना, भक्ति मेरी को ही लेना|

बाबा हम पर दया करना, अपने चरणों में ही रखना| चरणों में तुम्हारे शीतल छाया, बचे रहेंगे नहीं पड़ेगी मंद छाया|

हमारी बुद्धि निर्मल करना, जग की भलाई हमसे करना| हमको साधन बना लो बाबा, दया कृपा क्षमा दो बाबा|

अज्ञानी हम बालक मंदबुद्धि, तेरी दया से हो मन की शुद्धि| पाप ना कोई हमसे होने पाए, दुःख कोई जीव ना पाए| हरपल भला हम करते आए, गुणगान हरपल तेरे गांए|

||दोहा||

साईं हम पर कृपा करो, बालक हैं अनजान| मंदबुद्धि हम जीव हैं, हमको लो आन संभाल||१||

व्रत आपका कर रहे, दो आशीष यह आन| विध्न पड़े न इसमें कोई, कृपा करो दीनदयाल||२||

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Yogi Adityanath
योगी आदित्यनाथ (मूल नाम : अजय सिंह बिष्ट; जन्म 5 जून 1972) गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर के महन्त तथा राजनेता हैं एवं में उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री हैं। इन्होंने 19 मार्च 2017 को प्रदेश के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत के बाद यहाँ के 21वें मुख्यमन्त्री पद की शपथ ली। वे 1998 से लगातार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और 2014 लोकसभा चुनाव में भी यहीं से सांसद चुने गए थे। आदित्यनाथ गोरखनाथ मन्दिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं। ये हिन्दू युवाओं के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, तथा इनकी छबि कथित तौर पर एक कट्टर हिन्दू नेता की रही है।

5 जून 1972 को उत्तराखण्ड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश; देखें: उत्तर प्रदेश का विभाजन) के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचुर गाँव के एक गढ़वाली राजपूत परिवार में योगी आदित्यनाथ का जन्म हुआ। इनके पिता का नाम आनन्द सिंह बिष्ट है जो एक फॉरेस्ट रेंजर थे, तथा इनकी मां का नाम सावित्री देवी है। अपनी माता-पिता के सात बच्चों में तीन बड़ी बहनों व एक बड़े भाई के बाद ये पांचवें थे एवं इनसे और दो छोटे भाई हैं।

इन्होंने 1977 में टिहरी के गजा के स्थानीय स्कूल में पढ़ाई शुरू की व 1987 में यहाँ से दसवीं की परीक्षा पास की। सन् 1989 में ऋषिकेश के श्री भरत मन्दिर इण्टर कॉलेज से इन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। 1990 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते हुए ये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े। 1992 में श्रीनगर के हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से इन्होंने गणित में बीएससी की परीक्षा पास की। कोटद्वार में रहने के दौरान इनके कमरे से सामान चोरी हो गया था जिसमें इनके सनत प्रमाण पत्र भी थे। इस कारण से गोरखपुर से विज्ञान स्नातकोत्तर करने का इनका प्रयास असफल रह गया। इसके बाद इन्होंने ऋषिकेश में पुनः विज्ञान स्नातकोत्तर में प्रवेश तो लिया लेकिन राम मंदिर आंदोलन का प्रभाव और प्रवेश को लेकर परेशानी से उनका ध्यान अन्य ओर बंट गया। 1993 में गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गुरु गोरखनाथ पर शोध करने ये गोरखपुर आए  एवं गोरखपुर प्रवास के दौरान ही ये महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए थे जो इनके पड़ोस के गांव के निवासी और परिवार के पुराने परिचित थे। अंततः ये महंत की शरण में ही चले गए और दीक्षा ले ली। 1994 में ये पूर्ण संन्यासी बन गए, जिसके बाद इनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गया।

12 सितंबर 2014 को गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के निधन के बाद इन्हें यहाँ का महंत बनाया गया। 2 दिन बाद इन्हें नाथ पंथ के पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार मंदिर का पीठाधीश्वर बनाया गया।

योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं.
योगी आदित्यनाथ फ़िलहाल गोरखपुर से पांचवी बार सांसद हैं, मगर मुख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर उनका नाम पिछले साल से ही चर्चा में चल रहा था.

गढवाल में पैदा हुए आदित्यनाथ
उत्तराखंड के गढ़वाल के एक गांव से आए अजय सिंह बिष्ट के योगी आदित्यनाथ बनने के पहले के जीवन के बारे में लोगों को ज़्यादा कुछ नहीं मालूम, सिवा इसके कि वह हेमवतीनंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय, गढ़वाल से विज्ञान स्नातक हैं और उनके परिवार के लोग ट्रांसपोर्ट बिज़नेस में हैं. महंत अवैद्यनाथ भी उत्तराखंंड के ही थे.

गोरखनाथ मंदिर में लोगों की बहुत आस्था है. मकर संक्राति पर हर धर्म और वर्ग के लोग बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने आते हैं. महंत दिग्विजयनाथ ने इस मंदिर को 52 एकड़ में फैलाया था. उन्हीं के समय गोरखनाथ मंदिर हिंदू राजनीति के महत्वपूर्ण केंद्र में बदला, जिसे बाद में महंत अवैद्यनाथ ने और आगे बढ़ाया.

गोरखनाथ मंदिर के महंत की गद्दी का उत्तराधिकारी बनाने के चार साल बाद ही महंत अवैद्यनाथ ने योगी को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी भी बना दिया. जिस गोरखपुर से महंत अवैद्यनाथ चार बार सांसद रहे, उसी सीट से योगी 1998 में 26 वर्ष की उम्र में लोकसभा पहुँच गए.

पहला चुनाव वह 26 हज़ार के अंतर से जीते, पर 1999 के चुनाव में जीत-हार का यह अंतर 7,322 तक सिमट गया. मंडल राजनीति के उभार ने उनके सामने गंभीर चुनौती पेश की.

योगी आदित्यनाथ का पूरा बायोडाटा, जन्म से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक का सफर
उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अब तक लोग एक सांसद के रूप में जानते थे, लेकिन उन्हें इतना बड़ा पद मिलने के बाद लोग उनके बारे में जानना चाहते हैं. हम आपके लिए योगी आदित्यनाथ के जीवन के अब तक के सफर की कहानी लेकर आए हैं. आप नीचे जान पाएंगे किस साल अजय सिंह नेगी ने संन्यास अपनाकर योगी आदित्यनाथ बन गए. आप जान पाएंगे कि गणित का तेज तर्रार छात्र के साथ ऐसा क्या हुआ जो वह पहले संन्यासी और फिर राजनेता के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहा. ऐसे ही सवालों के जवाब के लिए नीचे टाइमलाइन में पढ़ें योगी आदित्यनाथ का पूरा बायोडाटा.
  • 5 जून 1972: उत्तराखंड (तब उत्तर प्रदेश था) के पौड़ी जिला स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचूर गांव के राजपूत परिवार में योगी आदित्यनाथ का जन्म हुआ था. 
  • 1977: टिहरी के गजा के स्थानीय स्कूल में पढ़ाई शुरू की. स्कूल और कॉलेज सर्टिफिकेट में इनका नाम अजय सिंह नेगी है.
  • 1987: टिहरी के गजा स्कूल से दसवीं की परीक्षा पास की. 
  • 1989: ऋषिकेश के भरत मंदिर इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की.
  • 1990: ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते हुए एबीवीपी से जुड़े.
  • 1992: कोटद्वार के गढ़वाल यूनिवर्सिटी से गणित में बीएससी की परीक्षा पास की.
  • 1993: गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गुरु गोरखनाथ पर रिसर्च करने गोरखपुर आए. यहां गोरक्षनाथ पीठ के महंत अवैद्यनाथ की नजर अजय सिंह/आदित्यनाथ पर पड़ी.
  • 1994: सांसारिक मोहमाया त्यागकर पूर्ण संन्यासी बन गए, जिसके बाद अजय सिंह नेगी का नाम योगी आदित्यानाथ हो गया.
  • 1998: योगी आदित्यनाथ सबसे पहले गोरखपुर से चुनाव भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लड़े और जीत गए. तब उनकी उम्र महज 26 साल थी.
  • 1999: गोरखपुर से दोबारा सांसद चुने गए.
  • अप्रैल 2002: योगी ने हिन्दू युवा वाहिनी बनायी.
  • 2004: तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता.
  • 2007: गोरखपुर में दंगे हुए तो योगी आदित्यनाथ को मुख्य आरोपी बनाया गया. गिरफ्तारी हुई और इस पर कोहराम भी मचा. योगी के खिलाफ कई अपराधिक मुकदमे भी दर्ज हुए.
  • 7 सितंबर 2008: सांसद योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था. इस हमले में वे बाल-बाल बचे थे.
  • 2009: योगी आदित्यनाथ  2 लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे.
  • 2014: पांचवी बार एक बार फिर से दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर सांसद चुने गए.
  • 2015: 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला था. इसके बाद यूपी में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए. इसमें योगी आदित्यनाथ से काफी प्रचार कराया गया, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा.
  • 2017: विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया. यहां तक कि इन्हें एक हेलीकॉप्टर तक दे दिया गया था.
  • 19 मार्च 2017: उत्तर प्रदेश के बीजेपी विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुनकर मुख्यमंत्री का ताज सौंप दिया गया.
  • 20 मार्च 2017: योगी आदित्यनाथ देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

हिंदू युवा वाहिनी
इसके बाद उन्होंने निजी सेना के रूप में हिंदू युवा वाहिनी (हियुवा) का गठन किया, जिसे वह 'सांस्कृतिक संगठन' कहते हैं और जो 'ग्राम रक्षा दल के रूप में हिंदू विरोधी, राष्ट्र विरोधी और माओवादी विरोधी गतिविधियों' को नियंत्रित करता है.

हिंदू युवा वाहिनी के खाते में गोरखपुर, देवरिया, महाराजगंज, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर से लेकर मउ, आज़मगढ़ तक मुसलमानों पर हमले और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के दर्जनों मामले दर्ज हैं.

ख़ुद योगी आदित्यनाथ पर भी हत्या के प्रयास, दंगा करने, सामाजिक सदभाव को नुक़सान पहुंचाने, दो समुदायों के बीच नफ़रत फैलाने, धर्मस्थल को क्षति पहुंचाने जैसे आरोपों में तीन केस दर्ज हैं.

हिंदू युवा वाहिनी के इन कामों से गोरखपुर में उनकी जीत का अंतर बढ़ने लगा और साल 2014 का चुनाव वह तीन लाख से भी अधिक वोट से जीते.

व्यक्तित्व के विभिन्न आयाम

भगवामय बेदाग जीवन- योगी आदित्यनाथ जी महाराज एक खुली किताब हैं जिसे कोई भी कभी भी पढ़ सकता है। उनका जीवन एक योगी का जीवन है, सन्त का जीवन है। पीड़ित, गरीब, असहाय के प्रति करुणा, किसी के भी प्रति अन्याय एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध तनकर खड़ा हो जाने का निर्भीक मन, विचारधारा एवं सिद्धान्त के प्रति अटल, लाभ-हानि, मान-सम्मान की चिन्ता किये बगैर साहस के साथ किसी भी सीमा तक जाकर धर्म एवं संस्कृति की रक्षा का प्रयास उनकी पहचान है।

पीड़ित मानवता को समर्पित जीवन - वैभवपूर्ण ऐश्वर्य का त्यागकर कंटकाकीर्ण पगडंडियों का मार्ग उन्होंने स्वीकार किया है। उनके जीवन का उद्देश्य है - ‘न त्वं कामये राज्यं, न स्वर्ग ना पुनर्भवम्। कामये दुःखतप्तानां प्राणिनामर्तिनाशनम्।। अर्थात् ‘‘हे प्रभो! मैं लोक जीवन में राजपाट पाने की कामना नहीं करता हूँ। मैं लोकोत्तर जीवन में स्वर्ग और मोक्ष पाने की भी कामना नहीं करता। मैं अपने लिये इन तमाम सुखों के बदले केवल प्राणिमात्र के कष्टों का निवारण ही चाहता हूँ।’’ पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज को निकट से जानने वाला हर कोई यह जानता है कि वे उपर्युक्त अवधारणा को साक्षात् जीते हैं। वरना जहाँ सुबह से शाम तक हजारों सिर उनके चरणों में झुकते हों, जहाँ भौतिक सुख और वैभव के सभी साधन एक इशारे पर उपलब्ध हो जायं, जहाँ मोक्ष प्राप्त करने के सभी साधन एवं साधना उपलब्ध हों, ऐसे जीवन का प्रशस्त मार्ग तजकर मान-सम्मान की चिंता किये बगैर, यदा-कदा अपमान का हलाहल पीते हुए इस कंटकाकीर्ण मार्ग का वे अनुसरण क्यों करते?

भ्रष्टाचार-आतंकवाद-अपराध विरोधी संघर्ष के नायक - योगी जी के भ्रष्टाचार-विरोधी तेवर के हम सभी साक्षी हैं। अस्सी के दशक में गुटीय संघर्ष एवं अपराधियों की शरणगाह होने की गोरखपुर की छवि योगी जी के कारण बदली है। अपराधियों के विरुद्ध आम जनता एवं व्यापारियों के साथ खड़ा होने के कारण आज पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपराधियों के मनोबल टूटे हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में योगी जी के संघर्षों का ही प्रभाव है कि माओवादी-जेहादी आतंकवादी इस क्षेत्र में अपने पॉव नही पसार पाए। नेपाल सीमा पर राष्ट्र विरोधी शक्तियों की प्रतिरोधक शक्ति के रुप में हिन्दु युवा वाहिनी सफल रही है।

शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा के पुजारी- सेवा के क्षेत्र में शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता दिये जाने के गोरक्षपीठ द्वारा जारी अभियान को पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने भी और सशक्त ढंग से आगे बढ़ाया है। योगी जी के नेतृत्व में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् द्वारा आज तीन दर्जन से अधिक शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाएँ गोरखपुर एवं महाराजगंज जनपद में कुष्ठरोगियों एवं वनटांगियों के बच्चों की निःशुल्क शिक्षा से लेकर बी0एड0 एवं पालिटेक्निक जैसे रोजगारपरक सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का भगीरथ प्रयास जारी है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय ने अमीर-गरीब सभी के लिये एक समान उच्च कोटि की स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करायी है। निःशुल्क स्वास्थ्य शिविरों ने जनता के घर तक स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुचायी हैं।

सामाजिक समरसता के अग्रदूत- ‘जाति-पाँति पूछे नहिं कोई-हरि को भजै सो हरि का होई’ गोरक्षपीठ का मंत्र रहा है। गोरक्षनाथ ने भारत की जातिवादी-रूढ़िवादिता के विरुद्ध जो उद्घोष किया, उसे इस पीठ ने अनवरत जारी रखा। गोरक्षपीठाधीश्वर परमपूज्य महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज के पद-चिह्नों पर चलते हुए पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने भी हिन्दू समाज में व्याप्त कुरीतियों, जातिवाद, क्षेत्रवाद, नारी-पुरुष, अमीर-गरीब आदि विषमताओं, भेदभाव एवं छुआछूत पर कठोर प्रहार करते हुए, इसके विरुद्ध अनवरत अभियान जारी रखा है। गाँव-गाँव में सहभोज के माध्यम से ‘एक साथ बैठें-एक साथ खाएँं’ मंत्र का उन्होंने उद्घोष किया।

पंचरूखिया कांड
इन घटनाओं की शुरुआत महराजगंज ज़िले में पंचरूखिया कांड से होती है, जिसमें योगी आदित्यनाथ के काफ़िले से चली गोली से सपा नेता तलत अज़ीज़ के सरकारी गनर सत्यप्रकाश यादव की मौत हो गई.

सूबे में कल्याण सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी. मामला सीबीसीआईडी को सौंपा गया और उसने जांच में योगी को क्लीन चिट दे दी, हालांकि वादी तलत अज़ीज़ के डटे रहने से मुक़दमा अभी भी चल रहा है.

इसके बाद कुशीनगर ज़िले में साल 2002 में मोहन मुंडेरा कांड हुआ, जिसमें एक लड़की के साथ कथित बलात्कार की घटना को मुद्दा बनाकर गांव के 47 अल्पसंख्यकों के घर में आग लगा दी गई. ऐसी घटनाओं की एक लंबी फ़ेहरिस्त है लेकिन किसी में योगी के ख़िलाफ़ न तो रिपोर्ट दर्ज हुई, न उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई हुई.

प्रदेश में बसपा, सपा की सरकार रहते हुए भी उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई नहीं हुई. हालांकि दोनों दलों के नेता अपने भाषणों में उन पर सांप्रदायिक हिंसा के आरोप लगाते रहे.

हिंदू युवा वाहिनी की हरकतों के कारण पूर्वांचल में हालात खराब होते गए. योगी और हियुवा नेता खुलेआम हिंसा की धमकी देते. मामूली घटनाओं को सांप्रदायिक हिंसा में बदल दिया जाता.

एक बार तो नेशनल हाइवे पर ट्रक से कुचलकर गाएं मर गईं, तो इसे आईएसआई की साज़िश बताते हुए तीन दिन की बंदी का ऐलान कर दिया गया. साल 2002 में गुजरात की घटनाओं पर हिंदू युवा वाहिनी ने गोरखपुर बंद कराया था और टाउनहाल में सभा की.

सभा में 'एक विकेट के बदले दस विकेट गिराने' और 'हिंदुओं से अपने घरों पर केसरिया झंडा लगा लेने की बात कही गई ताकि पहचान हो सके कि किन घरों पर हमला करना है.'

उनके समर्थक नारे लगाते घूमते 'गोरखपुर में रहना है तो योगी-योगी कहना है.' गोरखपुर के बाहर दूसरे जगहों पर यह नारा 'पूर्वांचल में रहना है तो योगी-योगी कहना है' हो जाता. बाद में तो यह नारा यूपी में रहना है तो योगी-योगी कहना है, में तब्दील हो गया.

जनवरी 2007 में एक युवक की हत्या के बाद हियुवा कार्यकर्ताओं द्वारा सैयद मुराद अली शाह की मज़ार में आग लगाने की घटना के बाद हालात बिगड़ गए और प्रशासन को कर्फ़्यू लगाना पड़ा. रोक के बावजूद योगी द्वारा सभा करने और उत्तेजक भाषण देने के कारण उन्हें 28 जनवरी 2007 को गिरफ़्तार कर लिया गया.

उनको गिरफ़्तार करने वाले डीएम और एसपी को दो दिन बाद ही मुलायम सरकार ने सस्पेंड कर दिया. योगी की गिरफ़्तारी के बाद कई ज़िलों में हिंसा, तोड़फोड़, आगज़नी की घटनाएं हुईं, जिनमें दो लोगों की मौत हो गई. पहली बार पुलिस ने हिंदू युवा वाहिनी पर थोड़ी सख़्ती की, जिसका बयान करते हुए वह लोकसभा में रो पड़े थे.

साल 2007 में गिरफ़्तारी ने उनकी और हियुवा की उग्रता में थोड़ी कमी ला दी और अब वह हर घटना में मौक़े पर पहुँचने और अपने हिसाब से न्याय करने की ज़िद नहीं करते. हालांकि आज भी वह अपने प्रिय विषयों लव जिहाद, घर वापसी, इस्लामिक आतंकवाद, माओवाद पर हिंदू सम्मेलनों का आयोजन कर गरजते रहते हैं.

विकास के पथ पर अनवरत गतिशील - योगी आदित्यनाथ जी महाराज के व्यक्तित्व में सन्त और जननेता के गुणों का अद्भुत समन्वय है। ऐसा व्यक्तित्व विरला ही होता है। यही कारण है कि एक तरफ जहॉ वे धर्म-संस्कृति के रक्षक के रूप में दिखते हैं तो दूसरी तरफ वे जनसमस्याओं के समाधान हेतु अनवरत संघर्ष करते रहते है; सड़क, बिजली, पानी, खेती आवास, दवाई और पढ़ाई आदि की समस्याओं से प्रतिदिन जुझती जनता के दर्द को सड़क से संसद तक योगी जी संघर्षमय स्वर प्रदान करते रहे हैं। इसी का परिणाम है कि केन्द्र और प्रदेश में विपक्षी पार्टियों की सरकार होने के बावजूद गोरखपुर विकास के पथ पर अनवरत गतिमान है।


सुस्त अधिकारियों पर योगी सरकार का हंटर, उम्र से पहले मिलेगा रिटायरमेंट
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुस्त कर्मचारियों और अधिकारियों को उम्र से पहले रिटायर करने का ऐलान किया है. सरकार ने 50 साल की उम्र में ही सुस्त अधिकारियों को रिटायरमेंट देने का फैसला किया है.

अधिकारियों के रिटायरमेंट को लेकर योगी सरकार भी केंद्र सरकार की राह पर है. सरकार ने फैसला किया है कि जो सरकारी कर्मचारी और अधिकारी काम में सुस्त हैं, उन्हें अनिवार्य रिटायरमेंट दिया जाएगा. इसके लिए कार्मिक विभाग ने बाकायदा शासनादेश जारी कर दिया है.

शहीद के घर पहुंचे योगी, प्रशासन ने पहले से मंगा रखे थे सोफा-कूलर
श्रीनगर में शहीद SI के घर पहुंचे CM योगी, प्रशासन ने पहले से सोफा-कूलर मंगा रखे थे.  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को गोरखपुर दौरे पर हैं. सीएम योगी कश्मीर में आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के सब इंस्पेक्टर साहब शुक्ला के घर पहुंचे और परिवारवालों से मिलकर संवेदना जताई. योगी ने परिवार को 6 लाख का चेक भी सौंपा. हालांकि, सीएम के दौरे को लेकर प्रसासन की तैयारियों पर फिर विवाद उठ खड़ा हुआ.

परम पूज्य महंत योगी आदित्यनाथ जी महाराज
जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 संवत् 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ जी महाराज ने अपने उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया।

योगीजी का जन्म देवाधिदेव भगवान् महादेव की उपत्यका में स्थित देव-भूमि उत्तराखण्ड में 5 जून सन् 1972 को हुआ। शिव अंश की उपस्थिति ने छात्ररूपी योगी जी को शिक्षा के साथ-साथ सनातन हिन्दू धर्म की विकृतियों एवं उस पर हो रहे प्रहार से व्यथित कर दिया। प्रारब्ध की प्राप्ति से प्रेरित होकर आपने 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया। आपने विज्ञान वर्ग से स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की तथा छात्र जीवन में विभिन्न राष्ट्रवादी आन्दोलनों से जुड़े रहे।

आपने संन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ा। धर्मस्थल में बैठकर आराध्य की उपासना करने के स्थान पर आराध्य के द्वारा प्रतिस्थापित सत्य एवं उनकी सन्तानों के उत्थान हेतु एक योगी की भाँति गाँव-गाँव और गली-गली निकल पड़े। सत्य के आग्रह पर देखते ही देखते शिव के उपासक की सेना चलती रही और शिव भक्तों की एक लम्बी कतार आपके साथ जुड़ती चली गयी। इस अभियान ने एक आन्दोलन का स्वरूप ग्रहण किया और हिन्दू पुनर्जागरण का इतिहास सृजित हुआ।

अपनी पीठ की परम्परा के अनुसार आपने पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया। सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जमकर प्रहार किया। वृहद् हिन्दू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हजारों मतान्तरित हिन्दुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। गोरक्षा के लिए आम जनमानस को जागरूक करके गोवंशों का संरक्षण एवं सम्वर्धन करवाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में आपने सफलता प्राप्त की। आपके हिन्दू पुनर्जागरण अभियान से प्रभावित होकर गाँव, देहात, शहर एवं अट्टालिकाओं में बैठे युवाओं ने इस अभियान में स्वयं को पूर्णतया समर्पित कर दिया। बहुआयामी प्रतिभा के धनी योगी जी, धर्म के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में रत हो गये।

अपने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर आपने वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र 26 वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बने। जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले लगभग 1500 ग्रामसभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने आपको वर्ष 1999, 2004 और 2009 के चुनाव में निरन्तर बढ़ते हुए मतों के अन्तर से विजयी बनाकर चार बार लोकसभा का सदस्य बनाया।

संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण आपको केन्द्र सरकार ने खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थायी समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया।

व्यवहार कुशलता, दृढ़ता और कर्मठता से उपजी आपकी प्रबन्धन शैली शोध का विषय है। इसी अलौकिक प्रबन्धकीय शैली के कारण आप लगभग 36 शैक्षणिक एवं चिकित्सकीय संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, प्रबन्धक या संयुक्त सचिव हैं।

हिन्दुत्व के प्रति अगाध प्रेम तथा मन, वचन और कर्म से हिन्दुत्व के प्रहरी योगीजी को विश्व हिन्दु महासंघ जैसी हिन्दुओं की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत इकाई के अध्यक्ष का महत्त्वपूर्ण दायित्व दिया, जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए आपने वर्ष 1997, 2003, 2006 में गोरखपुर में और 2008 में तुलसीपुर (बलरामपुर) में विश्व हिन्दु महासंघ के अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन को सम्पन्न कराया। सम्प्रति आपके प्रभामण्डल से सम्पूर्ण विश्व परिचित हुआ। 

आपकी बहुमुखी प्रतिभा का एक आयाम लेखक का है। अपने दैनिक वृत्त पर विज्ञप्ति लिखने जैसे श्रमसाध्य कार्य के साथ-साथ आप समय-समय पर अपने विचार को स्तम्भ के रूप में समाचार-पत्रों में भेजते रहते हैं। अत्यल्प अवधि में ही ‘यौगिक षटकर्म’, ‘हठयोग: स्वरूप एवं साधना’, ‘राजयोग: स्वरूप एवं साधना’ तथा ‘हिन्दू राष्ट्र नेपाल’ नामक पुस्तकें लिखीं। श्री गोरखनाथ मन्दिर से प्रकाशित होने वाली वार्षिक पुस्तक ‘योगवाणी’ के आप प्रधान सम्पादक हैं तथा ‘हिन्दवी’ साप्ताहिक समाचार पत्र के प्रधान सम्पादक रहे। आपका कुशल नेतृत्व युगान्तकारी है और एक नया इतिहास रच रहा है। 

बात कम, काम ज्यादा
अचानक हजरतगंज थाने पहुंच गए। उनके साथ प्रदेश के डीजीपी जावीद अहमद भी उनके साथ मौजूद रहे। सीएम ने थाने में कामकाज का जायजा लिया। योगी को देख पुलिसकर्मी हैरान रह गए, क्योंकि किसी को भी उनके आने की सूचना नहीं थी। उन्होंने वहां पर रजिस्टर देखा और पूरे थाने का मुआयना किया।

अपने अफसरों के साथ मीटिंग की बात हो या दफ्तरों का जायजा, योगी सभी जगह मौजूद हैं. सीएम ने सभी अफसरों को समय पर दफ्तर आने को कहा और सचिवालय में पान-गुटखा खाने पर रोक लगा दी. इन फैसलों के कारण योगी आदित्यनाथ चारों तरफ तारीफ की जा रही है.

क्यों नहीं हो रही है कैबिनेट मीटिंग
कैबिनेट मीटिंग ना होने का सबसे बड़ा कारण किसान कर्ज को माफ करने का वादा बताया जा रहा है. बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि यूपी की सरकार बनते ही पहली कैबिनेट में किसानों की कर्ज माफी का फैसला ले लिया जाएगा. लेकिन करीब 10 दिन बाद भी सरकार की कोई आधिकारिक कैबिनेट बैठक नहीं हुई है. अगर योगी सरकार किसानों का कर्ज माफ करती है तो सरकार के खजाने पर करीब 20 हजार करोड़ रुपये तक का बोझ आ सकता है.

योगी सरकार के अब तक के 50 बड़े फैसले 
19 मार्च को शपथ लेने के बाद योगी सरकार ने करीब 50 बड़े फैसले लिये हैं. इनमें कई फैसलों की तारीफ हुई तो वहीं बूचड़खानों और एंटी रोमियो दस्ता जैसे फैसलों को गलत भी बताया गया है. पढ़ें अभी तक योगी सरकार ने कौन-से 50 फैसले लिये.

1- गौ तस्करी पर पूर्ण प्रतिबन्ध
2- अवैध बूचडख़ानों को तत्काल प्रभाव से बंद करने के आदेश 
3- राजनेताओं को दी गयी सुरक्षा की समीक्षा
4- अधिकारी-मंत्री अपनी संपत्ति और खातों की जानकारी 15 दिन में दें 
5- कर्मचारी, अधिकारी और मंत्री समय से अपने विभाग में पहुंचे 
6- अधिकारी अपनी योजनाओं को भाजपा के घोषणा पत्र के अनुरूप करें
7- नवरात्रि और राम नवमी के उपलक्ष्य में 24 घंटे बिजली दी जाये
8- मंदिरों में पूजा-अर्चना के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा का ख्याल रखा जाये 
9- अयोध्या में राम नवमी के मौके पर आधारभूत सुविधाओं को मुहैया कराया जाये 
10- अधिकारी सूबे के गांवों में 24 घंटे बिजली की व्यवस्था की योजना बनायें
11- सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर सही समय पर अस्पताल पहुंचे 
12- 3000 नई मेडिकल शॉप्स खुलवाई जाएंगी, जहां सस्ती दरों पर दवाई उपलब्ध कराई जाएगी
13- स्वास्थ्य विभाग को ऐप बनाने को कहा गया है
14- आगरा, इलाहाबाद, मेरठ, गोरखपुर, झांसी में मेट्रो के लिए जल्द डीपीआर तैयार किया जाये
15- सरकार किसानों का शत-प्रतिशत अनाज खरीदेगी
16- अनाज के क्रय के लिए सरकार छत्तीसगढ़ का मॉडल अपनाएगी
17- सभी शुगर मिल्स गन्ना खरीद के 14 दिनों के भीतर उसका भुगतान सुनिश्चित करें
18- सभी सहकारी समितियों को फिर से कार्य करने योग्य बनाया जायेगा 
19- अच्छी छवि वालों को सरकारी ठेकों में प्रमुखता से जगह दी जाएगी 
20- सूखा-बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से सम्बंधित नुकसान को संभालने के लिए अधिकारी ध्यान दें
21- आवास-विकास विभाग अब प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत काम करेगा
22- शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापक गुरु-शिष्य की परंपरा को मजबूती दें
23- अध्यापक स्कूल में टी-शर्ट न पहनें 
24- साथ ही सभी अध्यापक स्कूल में बेवजह मोबाइल फोन के इस्तेमाल से बचें
25- सभी गांवों में सड़कों का जाल बिछायेंगे. 
26- ट्रांसफार्मर के फुंकने के बाद अधिकारी मौके पर पहुंचकर अपनी देख-रेख में बदलवाएं
27- सभी मंत्री अपने विभागों की प्रेजेंटेशन 27, 28 और 29 मार्च को देंगे 
28- मंत्री हर हफ्ते अपने विभागों की फाइलों की सूची बनायें
29- कोई भी मंत्री अपने विभागों से सम्बंधित फाइलों को घर नहीं ले जा सकता है
30- सरकारी दफ्तरों के कमरों में सीसीटीवी कैमरा लगाये जाएं
31- बायो मेट्रिक मशीनों से सरकारी दफ्तरों में उपस्थिति दर्ज कराई जाएगी
32- नागरिक घोषणा पत्र के जरिये लोगों की समस्याओं को जल्द से जल्द सुलझाया जाए
33- सरकारी फाइलों का निस्तारण जल्द हो 
34- सभी सरकारी दफ्तरों में स्वच्छता का विशेष ख्याल रखा जाये
35- सरकारी दफ्तरों में पॉलिथीन के प्रयोग पर रोक 
36- दफ्तरों में पान-गुटखा आदि पर बैन 
37- साइबर क्राइम अपराधों की रोकथाम के लिए ब्लूप्रिंट तैयार किया जाये 
38- सूबे में महिला पुलिस कर्मियों की संख्या को बढ़ाया जाये
39- जेलों में सुविधाओं को बढ़ाया जाये
40- सभी पुलिस थानों में एक महिला और पुरुष पुलिस रिसेप्शन में मौजूद हो
41- फरियादियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था की जाये
42- यूपी पुलिस आम जनता के साथ अच्छा व्यवहार करें
43- किसी भी शिकायत की तत्काल प्रभाव से प्राथमिकी दर्ज हो.
44- सहमति से एक साथ बैठे युवक-युवतियों को पुलिस परेशान न करें 
45- किशोरियों से छेड़छाड़ के मामले के लिए पूरी तरह से अधिकारी जिम्मेदार होंगे 
46- एंटी-रोमियो स्क्वाड का गठन 
47- प्रदेश की सभी सड़कों के गड्ढों को 15 जून तक ठीक किया जायेगा
48- कैलाश मानसरोवर के लिए राज्य सरकार ने अनुदान की राशि को 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दी है
49- मरीज स्वास्थ्य विभाग के एप पर अपनी समस्याओं को दर्ज करा सकेंगे
50- स्कूलों में अध्यापकों की शत-प्रतिशत हाजिरी होनी चाहिये

योगी आदित्यनाथ का विवादित जीवन :
राजनीत में की कीचड़ में कुछ एक नेताओं को छोड़ दें तो शायद ही कोई ऐसा नेता हो जिसका जीवन विवादित न रहा हो. योगी आदित्यनाथ का राजनेतिक जीवन हमेशा से विवाद में बना रहा.
  • राजनीत में की कीचड़ में कुछ एक नेताओं को छोड़ दें तो शायद ही कोई ऐसा नेता हो जिसका जीवन विवादित न रहा हो. योगी आदित्यनाथ का राजनेतिक जीवन हमेशा से विवाद में बना रहा.
  • सन 2005 में योगी आदित्यनाथ पर ईसाईयों का धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगा था. जिसमे उत्तर प्रदेश के एटा में 1800 इसाई लोगों ने धर्म परिवर्तन कर हिन्दू धर्म अपनाया था.
  • 2015 में भी सूर्य नमस्कार को लेकर योगी आदित्यनाथ का बयान विवादों में रहा था जिसमे उन्होंने सूर्य नमस्कार का विरोध करने वाले लोगो को कहा था कि जो लोग सूर्य नमस्कार नहीं करते उन्हें भारत में रहने का कोई हक़ नहीं है. उन्होंने कहा था की उनकी उन लोगों से गुजारिश है, जो लोग सूर्य में भी हिन्दू-मुस्लिम देखते हैं ऐसे लोगों को चुल्लूभर पानी में डूब कर मर जाना चाहिए.
  • लव जिहाद की बात पर योगी का एक वीडियो सामने आया था जिसमें वो अपने समर्थकों से कहते सुनाई दे रहे थे कि हमने फैसला किया है कि अगर वे एक हिंदू लड़की का धर्म परिवर्तन करवाते हैं तो हम 100 मुस्लिम लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाएंगे।
  • दादरी कांड पर आजम खान द्वारा यूएन जाने की बात पर योगी ने उन्हें तुरंत बर्खास्त करने को कहा था योगी ने कहा था कि अखलाख पाकिस्तान गया था और उसके बाद से उनकी गतिविधियां बदल गई थीं. क्या सरकार ने ये जानने की कभी कोशिश की कि ये व्यक्ति पाकिस्तान क्यों गया था आज उसे महिमामंडित किया जा रहा है. अखलाक को उसके घर में ही भीड़ ने घुसकर मार डाला था।
  • मस्जिद में गौरी-गणेश की मूर्ति: फरवरी 2015 में विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में योगी ने कहा कि अगर उन्हें अनुमति मिले तो वो देश के सभी मस्जिदों के अंदर गौरी-गणेश की मूर्ति स्थापित करवा देंगे।
  • योग के ऊपर भी विवादित बयान देते हुए योगी आदित्‍यनाथ ने कहा था कि जो लोग योग का विरोध कर रहे हैं उन्‍हें भारत छोड़ देना चाहिए उन्होंने ने यहां तक कहा कि लोग सूर्य नमस्‍कार को नहीं मानते उन्‍हें समुद्र में डूब जाना चाहिए।
  • विधानसभा चुनाव के दौरान राम मंदिर पर बयान देते हुए योगी ने कहा था कि राम मंदिर जरूर बनेगा और किसी में दम नहीं है कि वहां पर राम मंदिर बनने से रोक सके।
  • मुस्लिमों से बढ़ती जनसंख्या
  • सितंबर 2015 में आदित्यनाथ ने कहा था कि मुस्लिमों के बीच ‘उच्च’ प्रजनन दर से जनसंख्या असंतुलन हो सकता है. मुस्लिमों में अपेक्षाकृत उच्च प्रजनन दर से जनसंख्या का गंभीर अंसतुलन पैदा होगा।
  • अनुपम खेर हैं ‘विलेन’ : बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ ने अभिनेता अनुपम खेर को असल जिंदगी का खलनायक बताया था।खेर ने एक कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ और साध्वी प्राची को जेल में डालने और पार्टी से बाहर करने की बात कही थी।
  • जेएनयू प्रकरण पर योगी आदित्यनाथ ने कन्हैया पर कहा था कि जेएनयू सहित देश के किसी भी शिक्षण संस्था से किसी भी जिन्ना को पैदा नहीं होने दिया जाएगा योगी ने कहा कि जिन्ना को पैदा होने से पहले ही दफन कर दिया जाएगा।
  • नवंबर 2015 में योगी आदित्यनाथ ने शाहरुख की तुलना हाफिज सईद से करते हुए कहा था कि हाफिज सईद की भाषा और शाहरुख की भाषा में कोई अंतर नहीं है. योगी आदित्यनाथ यहीं नहीं रुके उन्होनें कहा कि देश में माहौल खराब करने के लिए एक साजिश रची जा रही है जिसमें शाहरुख खान भी शामिल हो गए हैं।आदित्यनाथ ने शाहरुख को हाफिज के न्योते पर बोलते हुए कहा कि शाहरुख को पाकिस्तान चले जाना चाहिए।उन्होंने ये भी कहा कि अगर देश में बहुसंख्यक समाज ने शाहरुख खान की फिल्म का बहिष्कार कर दिया तो वो सड़क पर आ जाएंगे।
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आइये आज हम  योगी आदित्यनाथ के बारे में  बारे में चर्चा करते है  प्रतिक्रिया बारे में  कुछ  लिखे

Sourav GangulySourav Ganguly. Ganguly has been one of the most successful captains for India and is known for his leadership qualities. The left-handed batsman made his first Test appearance for India in 1996 against England at Lord's and scored a brilliant hundred during the course.

Sourav Ganguly Indian cricketer

Personal information
Full name Sourav Chandidas Ganguly
Born 8 July 1972 (age 44)
Behala, Calcutta (presently Kolkata), West Bengal, India
Nickname Dada,Prince of Calcutta,God of the Off Side
Height 5 ft 11 in (1.80 m)
Batting style Left-handed
Bowling style Right arm medium
Role Batsman
Part-time all-rounder
Relations Snehasish Ganguly (brother)
Dona Roy (wife)

International information
National side India
Test debut (cap 206) 20 June 1996 v England
Last Test 6 November 2008 v Australia
ODI debut (cap 84) 11 January 1992 v West Indies
Last ODI 15 November 2007 v Pakistan
ODI shirt no. 99, 1, 24, 21

Domestic team information
Years Team
1990–2010 Bengal
2000 Lancashire
2005 Glamorgan
2006 Northamptonshire
2008–10 Kolkata Knight Riders
2011–2012 Pune Warriors India

Former Indian skipper Sourav Ganguly turned 45 on Saturday. On the joyous occasion wishes poured in for The ‘Prince of Kolkata’ from all parts of the country. Social media too buzzing with his birthday wishes. Ganguly has been one of the most successful captains for India and is known for his leadership qualities. The left-handed batsman made his first Test appearance for India in 1996 against England at Lord’s and scored a brilliant hundred in that match. From thereon there was no looking back.

While he stamped authority with his batting, Sourav also played a vital role in the resurgence of Indian cricket. Under him, India registered a berth in the final of Knockout tournament in 2000 and also went into the finals of the 2003 World Cup. Though they lost the final to New Zealand but his leadership skills impressed everybody.  In 2002 Ganguly led his side to a Champions Trophy win.  In 2003 edition of the ICC World Cup Ganguly and his side were runners-up. Meanwhile, here is a look at some of the wishes and what his colleagues and others have to say on his special day:

When he's not busy discussing the Supreme Court-mandated Justice RM Lodha Committee reforms with the general body of the Indian cricket board, he's part of a committee appointed by that general body studying the very reforms. When he's not busy attending the Indian Premier League (IPL) governing council meetings, he's busy running the Cricket Association of Bengal (CAB). When he's not busy chairing the BCCI's technical committee, he's busy selecting the Indian national team's new coach. Say hello to the omnipresent Sourav Ganguly - the busiest man in Indian cricket today.

The list doesn't end. When he's not busy doing any of the above, Ganguly will be found doing commentary for a broadcaster or presenting expert views on television or attending the MCC World Cricket Committee meeting.

"I can also apply for the position of India's coach provided I'm not an administrator," Ganguly recently told the media, when asked to comment on former Team India director Ravi Shastri sending his application for the role.

Less is more certainly doesn't apply to this Indian cricket great who's taken to the administration of the game like the fish takes to water.

In another world, at a different hour, this kind of multi-tasking would've been seen as a matter of accomplishment in Indian cricket administration. But in the prevailing times, the moniker doesn't stick. "We understand that to be a major concern and roles need to be more definitive, largely because a pattern has to be set in the larger context. There's absolutely no disrespect towards Sourav, given his vast experience as a cricketer and a leader in the game. It's the syndrome that we're talking about," two individuals keenly involved with affairs of Indian cricket administration over the last few months told TOI.

Ganguly's former teammate Rahul Dravid is a case in point. In the middle of the hullabaloo over whether Dravid could've continued in the role of India's junior national coach while being a mentor to an IPL franchise, it was he who took the first step in sorting out the confusion. Dravid wrote a letter to the Committee of Administrators (CoA) seeking clarity on his role and, in turn, provided the solution.

ShahRukh Khan
Born Shahrukh Khan 2 November 1965, New Delhi, Delhi, India
Residence Bandra, Mumbai, Maharashtra, India
Nationality Indian
Education Hansraj College, Delhi University
Occupation Film actor, producer, television host
Years active 1988–present
Spouse(s) Gauri Khan (m. 1991)
Children 3

Khan began his career with appearances in several television series in the late 1980s. He made his Bollywood debut in 1992 with Deewana. Early in his career, Khan was recognised for portraying villainous roles in the films Darr (1993), Baazigar (1993) and Anjaam (1994). He then rose to prominence after starring in a series of romantic films, including Dilwale Dulhania Le Jayenge (1995), Dil To Pagal Hai (1997), Kuch Kuch Hota Hai (1998), Mohabbatein (2000) and Kabhi Khushi Kabhie Gham... (2001). He earned critical acclaim for his portrayal of an alcoholic in Devdas (2002), a NASA scientist in Swades (2004), a hockey coach in Chak De! India (2007) and a man with Asperger syndrome in My Name Is Khan (2010). His highest-grossing films include the comedies Chennai Express (2013) and Happy New Year (2014). Many of his films display themes of Indian national identity and connections with diaspora communities, or gender, racial, social and religious differences and grievances. For his contributions to film, the Government of India honoured him with the Padma Shri.

Shahrukh Khan Upcoming Movies 2017
1- Jab Harry Met Sejal

Imtiaz Ali is one of the finest new age directors of Bollywood. He had made some superhit films, Jab We Met (2007), Love Aajkal (2009) and Rockstar (2011). Now, Imtiaz has roped in Shah Rukh Khan for his next romantic-drama Jab Harry Met Sejal in which SRK is playing the character of a guide.

2- Kabir Khan’s Next

Kabir Khan and Shahrukh Khan will first time collaborate for a short film based on Dubai Tourism. Shahrukh Khan is brand ambassador of Dubai Tourism.

Shahrukh Khan Upcoming Movies 2018
3- Anand L Rai’s Next

Anand L. Rai is known for his successful films, Tanu Weds Manu series and Raanjhna. He has roped in Shah Rukh Khan for his upcoming Bollywood movie written by Himanshu Sharma. SRK will portray the character of the dwarf in the film.Anushka Sharma and Katrina Kaif joined him for the film. Anushka to play a mentally challenged character.

4- Don 3

Don 3 is the third installment of super hit action-thriller franchise directed by Farhan Akhtar. Shah Rukh Khan will reprise his role of Don which he played in Don (2006) and Don 2 (2012). While the first two parts had Priyanka Chopra in the female lead but still the actress for Don 3 to be finalized.

The shooting of Don 3 might commence from the second half of 2017 and it will hit the screens in 2018

SRK entered the film industry with romantic-drama Deewana (1991). Shahrukh Khan has made a very special place in the heart of his fans. Just after started off his career, he had shown his versatility by accepting the negative characters in the films like Baazigar (1993), Darr (1993) and Anjaam (1994).

In the year of 1995, Dilwale Dulhania Le Jayenge (DDLJ)  released, which established him as the King of romance. DDLJ is one of the most classic films of Hindi Cinema that has broken so many box office records with record-breaking success.

Over the years, Shah Rukh has made a special space in the industry with his super hit films Kuch Kuch Hota hai (1997), Mohabatein (2000), Kal Ho Na Ho (2003), Swadesh (2004), Veer Zara (2004), Om Shanti Om (2007), My Name is Khan (2010).

With 26 years long Bollywood career, Shah Rukh has done more than 70 Bollywood films and most of them are super hits at the box office. SRK is the only Bollywood actor who has won 6 Filmfare Awards for Best Actor. He is one of the most popular celebrities across the world.

Apart from his successful Bollywood career, SRK is also an entrepreneur. He has his own production house Red Chillies and made some superhit films like Om Shanti Om, Chennai Express (2013), Happy New Year (2014), Raees (2017).

Akshay KumarAkshay Kumar (born Rajiv Hari Om Bhatia on September 9, 1967) is an Indian film actor, producer and martial artist who has appeared in over a hundred Hindi films. He has been nominated for several Filmfare Awards and has won twice.

      Kumar was born in Amritsar, Punjab. From a very young age, he was recognised as a performer, particularly as a dancer. Kumar was raised in Delhi's Chandni Chowk neighbourhood before his family moved to Mumbai. In Mumbai, he lived in Koliwada, which was another Punjabi dominated area. He studied at Don Bosco School and then Guru Nanak Khalsa College (King's Circle).

Personal Profile
Real name : Rajiv Hari Om Bhatia
Stage Name : Akshay Kumar 
Nick names : Khiladi, Akki
Date Of Birth : September 9, 1967
Place of Birth : Amritsar, Punjab
Age : 49 Years
Height : 5'9"
Occupation : Actor, producer, presenter
Spouse/Wife : Twinkle Khanna 
Children/Kids : Aarav and Nitara

Family
Akshay Kumar was born to Hari Om Bhatia and Aruna Bhatiya. His father was a military officer. He has one sister named Alka Bhatia. 

 Akshay Kumar is married to ex-actor Twinkle Khanna, who herself is the daughter of Bollywood biggies – the late Rajesh Khanna, and Dimple Kapadia. They live in Mumbai and have two children together.

Marriage/Wife
Akshay got married to Bollywood actress Twinkle Khanna on 17 January 2001. She is the daughter of legendary actors Rajesh Khanna and Dimple Kapadia. The couple is blessed with two children son Aarav born on September 15, 2002 and daughter Nitara Kumar, born on September 25, 2012.

Personal life
Akshay Kumar loves to stay fit and is involved in workout to attain so. He is crazy about cars and even has a long list of brand endorsements. He always keeps his kids close to him and they stand at the highest priority in his life. He even got a tattoo of his son's name on his back. 

Akshay got 'Katana' Award - highest Japanese honour and also sixth degree belt in Kuyukai karate. He was one of the 15 recipients among International celebrities who were invited to Canada for Olympics torch-bearer rally. 

Career
Till date Akshay has featured in more than 100 films and received appreciation for his acting skills. In 1994, he has appeared in 11 films. He also played supporting role in Dil To Pagal Hai, co-starring SRK, Madhuri Dixit and Karisma Kapoor, for which he received his first nomination for the Filmfare Best Supporting Actor Award. He was seen in all films of "Khiladi series". 

In 1999, Kumar played opposite Twinkle Khanna in International Khiladi. He was also seen in Negative Role in some films. 2007 has proved to be Akshay's most successful year with four outright hits and no flops.

Upcoming Movies
Akshay Kumar will be seen in 2.0 aka Enthiran 2/Robot 2, a sci-fi film directed by Shankar alongwith Rajnikanth and Amy Jackson. Akshay plays scientist Richard who, after an experiment goes wrong, turns crazy and loses his appearance. It will be released on 25 January 2018. 

He will also be seen in 'Namastey England' opposite Sonakshi Sinha. He will also be seen opposite Bhumi Pednekar in the film 'Toilet: Ek Prem Katha'. The film is a social commentary on Prime Minister Narendra Modi's Swacch Bharat Abhiyaan. It will release on August 11, 2017. Akshay will be seen in the upcoming film 'Gold' which is being directed by Reema Kagti and produced by Ritesh Sidhwani, Farhan Akhtar. 


Akshay Kumar Upcoming Movies 2017

1- Toilet: Ek Prem Katha

Toilet: Ek Prem Katha is basically a social drama based on PM Narendra Modi’s Swatch Bharat Campaign. Akshay Kumar will play the main role in the film to be directed by Shri Narayan Singh. The movie will go on the floors in August 2017.

Akshay Kumar Upcoming Movies 2018

2- Robot Sequel (2.0)

On Akshay Kumar upcoming movies 2018 List, 2.0 is a big budget movie. Robot 2 is the second installment of legendary south Indian superstar Rajinikanth starrer science fiction film Robot (2010), starred Aishwarya Rai Bachchan in a female lead.

In 2.0, the makers have been roped in Akshay Kumar as the main villain. This will be the first occasion that Akshay is playing the role of a hardcore villain. It is said that Robot 2 will be the costliest film ever in the history of Indian cinema. The budget of Robot 2 is around Rs 350 crore.

3- Padman

Akshay Kumar posted his upcoming movies 2017 list on twitter, Padman was one of them but film is now shifted to next year, he shared first look which is captioned with the text “based on an extraordinary true story Padman“. Akshay Kumar is bringing another true story of a social entrepreneur Arunachalam Muruganantham, who invented and provides low-cost sanitary napkins to poor women in rural areas.

4- Five

Mary Kom (2014), Sarabjit (2016) famed Director Omung Kumar has cast Akshay Kumar in his next.

5- Mogul

Jolly LLB2 director is going to direct a film based on Gulshan Kumar’s life and Akshay Kumar will play a lead role in the film.

6- Crack

After collaborating successfully in Special 26 (2013), Baby (2015) and Rustom (2016), Akshay is once teamed up with Neeraj Pandey in the upcoming psychological thriller titled Crack to be hit the screens in 2018.

7- Ikka

Ikka is a big budget upcoming Bollywood movie of Akshay Kumar. Ikka is the Hindi remake of hit south Indian film Thupakki. A. R. Muruigadoss, who had earlier worked with Akshay in Holiday- Never off Duty (2015) is again working with him as the producer. A newcomer director Jagan Shakti will direct the film that will go on the floors in December 2016 and scheduled to hit the screens somewhere around second half of 2017.

8- Namaste England

Namaste English is called as the remake of Akshay Kumar’s hit melodrama Namaste London (2007). Vipul Shah has decided to start the sequel of the film with Akshay but as Akshay Kumar is currently busy with his other projects, so Namaste England will go on the floors in the latter part of 2017 and to be released in 2018. The leading lady in the film will be decided later on. The pair of Akshay and Vipul Shah had earlier given some superhit films like Waqt (2005) and Singh is King (2008).

9- Gold

This is a sports drama and based on a true incident or the story of First Gold medal by India in Olympic. Akshay tweeted about this film on his official twitter account that “Set in 1948, the historic story of India’s first Olympic medal as a free nation, #GOLD coming to you on 15th August 2018!”

10- Houseful 4

Sajid-Farhad will make their comedy franchise Housefull’s next part in 2018, where Akshay Kumar, Ritesh Deshmukh are confirmed leads. Jacqueline may join them.

11- Untitled - Salman Khan & Karan Johar Producing

Salman Khan and Karan Johar jointly produing a film which will lead by Akshay Kumar. 

Akshay made his Bollywood acting debut on year 1991 with film Saugandh. Then on year 1992 he again starred in film Khiladi. On year 1994 he acted in his first action film Main Khiladi Tu Anari and then Mohra which were the Highest grossing films of the year. Then he signed for Yash Chopra's film Yeah Dillagi which again was a success. He recived his first nominations for Best Actor award at the Filmfare and Star Screen ceremonies. Later on the same year, Akshay made another two films Suhaag and Elaan which was a success. He was then declared as one of the most successful actors of that year.

In year 1995, he starred in film Sabse Bada Khiladi, which was a hit. He got success with the Khiladi series. Then in year 1996 he again did a khiladi series Khiladiyon Ka Khiladi which was again a highest grossing film of the year.

In year 1997, Akshay was seen in a supporting role in film Dil To Pagal Hai, which gave him Filmfare Best Supporting Actor Award nomination. Then with a comedy role in another Khiladi series Mr and Mrs Khiladi, it failed on box office. 

Then in year 1999 he starred in film Sangharsh and Jaanwar, which did not made any profit initially but went good later.

In year 2000 he acted in film Hera Pheri which was a hit. Then he did a romantic film Dhadkan which went about average. Then later on that year he made some dangerous stunts in Khiladi 420, where he climbed a running plane, stood on top of the plane flying a thousand feet in the air, and jumped from the plane onto a hot air balloon.

Then in 2001, for the first time Akshay played a negative role in film Ajnabee.The film won him much acclaim as well as his first Filmfare Award for Best Villain. Then he played a blind man role in Aankhen.

He then went into some comedy films like Awara Paagal Deewana in year 2002 and Mujhse Shaadi Karogi in year 2004 and Garam Masala in year 2005. The films successded at the box office and then he won his second Filmfare Award, for Best Comedian. Then Akshay was seen in a dramatic roles in films such as Ek Rishtaa in year 2001, Aankhen in year 2002, Bewafaa in year 2005 and Waqt: The Race Against Time in year 2005.

Then in year 2006 he starred in the sequel of Hera Pheri titled Phir Hera Pheri. The sequel became a huge success at box office. Than later on the same year he starred alongside Salman Khan in the romantic musical Jaan-E-Mann. It did not went well on box office. Then at the end of the year he played another comedy film Bhagam Bhag wich was again a success. 

In year 2007 he gave some four outright hits and with no flops. He first released Namastey London, which was a huge success which earned him a Best Actor nomination at Filmfare. Then films he did films like Heyy Babyy and Bhool Bhulaiyaa, which were box office successes. Then on the last of the year he did film Welcome which was extremely well at box office, receiving a blockbuster status and simultaneously becoming his fifth successive hit. 

On year 2008, his first film Tashan which was with Yash Raj Films after 11 years got floped. Then he came in film Singh is Kinng which again made a huge success at box office and broke the first week worldwide record of Om Shanti Om which was the previously highest figure. He did a animated film Jumbo. On that year he also came in small screen show hosting a game show Fear Factor - Khatron Ke Khiladi.

Then in 2009 he came in a film Chandni Chowk to China under Warner Bros - Rohan Sippy production which was a flop. Then 8 x 10 Tasveer which was again a flop. Then he released Kambakkht Ishq and Blue film. Blue collected about Rs 42 Crores at box office. He then starred in De Dana Dan film.

On year 2010 he starred in film Housefull which made the second highest opening weekend collection of all time. Then he made Khatta Meetha which went average. He starred in Action Replayy later that year which was a failure.

  Kumar primarily starred in action films and was particularly known for his appearances in the "Khiladi series", which included Khiladi (1992), Main Khiladi Tu Anari (1994), Sabse Bada Khiladi(1995), Khiladiyon Ka Khiladi (1996), Mr. and Mrs. Khiladi (1997), International Khiladi (1999), and Khiladi 420 (2000). He also starred in other action films such as Mohra (1994), Elaan (1994), Suhaag (1994), Sapoot (1996), Keemat (1998), Angaaray (1998) and Sangharsh (1999).

      Later he also gained fame for his drama, romance and comic roles. He started becoming known for his performances in romance films like Yeh Dillagi (1994), Dhadkan (2000), Jaan-E-Mann (2006) and Namastey London (2007) as well as drama films such as Ek Rishtaa (2001), Waqt: The Race Against Time (2005) and Patiala House (2011) . His comic performances in comedy films such as Hera Pheri (2000), Mujhse Shaadi Karogi (2004), Garam Masala (2005), Heyy Babyy (2007), Singh Is Kinng (2008), Housefull (2010), Desi Boyz (2011) and Housefull 2(2012) met with acclaim. He has, thus, established himself as one of the leading actors in Hindi cinema.

      2008 marked Kumar’s television debut as the host of the Fear Factor – Khatron Ke Khiladi. In 2009, Kumar founded the Hari Om Entertainment production company. In 2008, the University of Windsor conferred an Honorary Doctorate of Law on Kumar for his contribution to Indian cinema. The following year he was awarded the Padma Shri by the Government of India. In 2011, Asian Film Awards honored Kumar for his outstanding achievements in cinema.

Currently, he has 7 Hindi movies in 100 Crore Club and his last comedy court drama Jolly LLB 2 is 4th 100 Crores grosser in a row after Airlift (2016), Housfull3 (2016), and Rustom (2016).
Here you are looking for Akshay Kumar Movies List 1991-2017. Except these movies Akshay Kumar has appeared as special appearance in Aaj (1997), Dil To Pagal Hai (1997), Mitter Pyare Nu Haal Mureedan Da Kehna (2004), Om Shanti Om (2007), Jaane Kahan Se Aayi Hai (2010), Chalo Dilli (2011), Breakaway (2011), Bombay Talkies (2013), Dil Pardesi Ho Gaya (2013), Fugly (2014), Hey Bro (2015), Dishoom     (2016), Naam Shabana (2017).

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Satish Kumar

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