🌷 *गुरुसत्संग*🌷
गुरुसत्संग : भगवान हर मनुष्य हृदय रूपी मन्दिर में बैठे हुए है - Bhagavaan Har Manushy Hrday Roopee Mandir Me Baithe Hue Hai : GuruSatsang |
एक बार भगवान दुविधा में पड़ गए! कोई भी मनुष्य जब मुसीबत में पड़ता, तो भगवान के पास भागा-भागा आता और उन्हें अपनी परेशानियां बताता, उनसे कुछ न कुछ मांगने लगता!
अंतत: उन्होंने इस समस्या के निराकरण के लिए देवताओं की बैठक बुलाई और बोले- देवताओं, मैं मनुष्य की रचना करके कष्ट में पड़ गया हूं। कोई न कोई मनुष्य हर समय शिकायत ही करता रहता हैं, जबकी मै उन्हे उसके कर्मानुसार सब कुछ दे रहा हुँ। फिर भी थोड़े से कष्ट मे ही मेरे पास आ जाता हैं। जिससे न तो मैं कहीं शांति पूर्वक रह सकता हूं, न ही तपस्या कर सकता हूं। आप लोग मुझे कृपया ऐसा स्थान बताएं, जहां मनुष्य नाम का प्राणी कदापि न पहुंच सके।
प्रभू के विचारों का आदर करते हुए देवताओं ने अपने-अपने विचार प्रकट किए। गणेश जी बोले- आप हिमालय पर्वत की चोटी पर चले जाएं। भगवान ने कहा- यह स्थान तो मनुष्य की पहुंच में हैं। उसे वहां पहुंचने में अधिक समय नहीं लगेगा। इंद्रदेव ने सलाह दी- कि वह किसी महासागर में चले जाएं। वरुण देव बोले- आप अंतरिक्ष में चले जाइए।
भगवान ने कहा- एक दिन मनुष्य वहां भी अवश्य पहुंच जाएगा। भगवान निराश होने लगे थे। वह मन ही मन सोचने लगे- “क्या मेरे लिए कोई भी ऐसा गुप्त स्थान नहीं हैं, जहां मैं शांतिपूर्वक रह सकूं"।
अंत में सूर्य देव बोले- प्रभू! आप ऐसा करें कि मनुष्य के हृदय में बैठ जाएं! मनुष्य अनेक स्थान पर आपको ढूंढने में सदा उलझा रहेगा, पर वह यहाँ आपको कदापि न तलाश करेगा। ईश्वर को सूर्य देव की बात पसंद आ गई। उन्होंने ऐसा ही किया और वह मनुष्य के हृदय में जाकर बैठ गए।
उस दिन से मनुष्य अपना दुख व्यक्त करने के लिए ईश्वर को मन्दिर, ऊपर, नीचे, आकाश, पाताल में ढूंढ रहा है पर वह मिल नहीं रहें हैं।
🙏🌹🙏 परंतु मनुष्य कभी भी अपने भीतर- "हृदय रूपी मन्दिर" में बैठे हुए ईश्वर को नहीं देख पाता। 🙏🌷🙏
🌷 *GuruSatsang*🌷
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